लुधियाना , हाल के वर्षों में एक चिंताजनक ट्रेंड सामने आया है जो मेडिकल कम्युनिटी को चौंका रहा है वह है युवाओं में कार्डियक अरेस्ट की बढ़ती घटनाएं। पहले ये स्वास्थ्य समस्याएं ज्यादातर बड़ों में देखी जाती थीं, लेकिन अब 20 से 30 साल के लोग भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। यह चिंता का विषय है और इसके लिए हार्ट हेल्थ के प्रति जागरूकता बढ़ाने और युवा आबादी में प्रिवेंटिव केयर की जरूरत है।

इस बारे में बात करते हुए डा0 संदीप चौपडा,डायरेक्टर कार्डियोलॉजी,फोर्टिस हास्पिटल,लुधियाना ने बताया कि आज कल के युवाओं में कार्डियक अरेस्ट के बढ़ने के कई कारण हैं। सबसे पहले लाइफस्टाइल से जुड़े कारण हैं जैसे खराब खानपान, शारीरिक निष्क्रियता, उच्च तनाव स्तर, और युवाओं में हाइपरटेंशन और डायबिटीज का बढ़ना।

’कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में अंतर, हार्ट अटैक तब होता है जब दिल तक रक्त का प्रवाह रुक जाता है, जिससे दिल की धड़कन पूरी तरह रुक जाती है। जब कार्डियक अरेस्ट होता है, तो दिल मस्तिष्क, फेफड़ों और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक रक्त पंप करना बंद कर देता है, जो तुरंत इलाज न होने पर मौत का कारण बन सकता है।

युवाओं में कार्डियक अरेस्ट की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक हैं, लेकिन ये अनिवार्य नहीं हैं। कई जोखिम कारकों को लाइफस्टाइल में बदलाव और नियमित हेल्थ चेक-अप के जरिए मैनेज या कम किया जा सकता है।

युवाओं में कार्डियक अरेस्ट रोकने की ताकत शिक्षा, लाइफस्टाइल में बदलाव और शुरुआती हस्तक्षेप में है। जागरूकता बढ़ाना और प्रिवेंटिव केयर की संस्कृति को अपनाना जरूरी है। दिल के लिए स्वस्थ आदतें अपनाएं’ युवाओं को फल, सब्जियां, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज से भरपूर आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि , ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल पर नजर व स्ट्रेस को स्वस्थ तरीके से मैनेज करके , जैसे मेडिटेशन, हॉबीज या शारीरिक गतिविधियों के जरिए रोकथाम का प्रयास करना चाहिऐ।

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