अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में संत सम्मेलन में अमित शाह ने की शिरकतअंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में संत सम्मेलन में अमित शाह ने की शिरकत

चंडीगढ़, 22 दिसंबर। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि व्यक्ति, समाज, राष्ट्र व विश्व की समस्याओं का समाधान श्रीमद्भागवद् गीता में समाहित है। कुरुक्षेत्र में मनाये जा रहे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव से आज देश-विदेश में गीता का शाश्वत संदेश पहुंच रहा है।

अमित शाह आज कुरुक्षेत्र में चल रहे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लगभग 5000 साल से ज्यादा समय पहले कुरुक्षेत्र की धरा पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपने श्रीमुख से गीता का  संदेश दिया था। उस संदेश को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के माध्यम से पूरे विश्व में स्थापित करने का काम किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि एक विद्वान ने कहा था कि गीता का ज्ञान, हर जगह फैलाने में सफल हों और इसकी स्वीकृति हो, तो विश्व में कभी युद्ध नहीं हो सकता। लेकिन असल मायने में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित करने और उनकी शंकाओं का समाधान करने के लिए यह ज्ञान दिया था। मगर वह युद्ध अपने लिए नहीं, बल्कि पृथ्वी पर धर्म की स्थापना और सर्व समाज के कल्याण के लिए था।

अमित शाह ने गीता के शाश्वत संदेश का जीवन में महत्व समझाते हुए बताया कि मेरे जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आए, लेकिन बचपन से ही माँ ने गीता सिखाई, इसलिए जीवन में कभी निराशा व दुख: का अनुभव नहीं हुआ।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल साधुवाद के पात्र, जिन्होंने गीता महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप दिया

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुरुक्षेत्र में गीता जयंती महोत्सव में आए थे, उस समय उन्होंने संकल्पना की थी कि गीता के संदेश को विश्व में प्रसारित करने के लिए इसका स्वरूप बढ़ाया जाना चाहिए। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल साधुवाद के पात्र हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री की संकल्पना को मूर्त रूप दिया और वर्ष 2016 से गीता महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप दिया।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 आने वाला है और वर्ष 2014 से 2024 तक के इन 10 सालों में भारत के स्व: को जगाने का काम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की मान्यता है कि इस देश की महान संस्कृति को हमेशा आगे बढ़ाना चाहिए। महान संस्कृति से मार्गदर्शन लेकर ही देश की नीतियों का निर्धारण व कानून बनने चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इन 10 सालों में ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है और 22 जनवरी को श्रीरामलला अपने घर में प्रस्थापित हो जाएंगे। इसके अलावा, धारा 370 समाप्त हो चुकी है। साथ ही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, केदार धाम और बदरीधाम को विकसित करना, कश्मीर में शारदा पीठ का पुनर्स्थापन और संसद के अंदर सनातन परंपरा का प्रतीक सेंगोल को स्थापित करना, ये सभी काम श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में हुए हैं।

उन्होंने कहा कि संत-महात्माओं ने सदैव समाज को राह दिखाने का कार्य किया है। मेरा विश्वास है कि इस प्रकार के कार्यक्रम से गीता के उपदेश व उसके ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के साथ-साथ विश्व में गीता को पुनर्स्थापित करने का काम होगा।

लौह पुरुष की तरह प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ले रहे हैं देश की एकता के लिए निर्णय- मुख्यमंत्री

इस अवसर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह का धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर आगमन करने के लिए प्रदेश की 2.80 करोड़ लोगों की ओर से स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि वर्ष 2014 से भारत सरकार का संचालन भारतीय संस्कृति के अनुसार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री आसान तरीके से जटिल मुद्दों को सुलझा लेते हैं। जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने, अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण, ट्रिपल तलाक जैसे ऐतिहासिक फैसले लिए हैं।

उन्होंने कहा कि वीरवार को ही लोकसभा व राज्यसभा में सीआरपीसी और आईपीसी से संबंधित तीन नए कानून पास हुए हैं, जोकि आज अध्यादेश बन गए हैं। आजादी के बाद 75 वर्षों से प्रचलित गुलामी के चिन्हों को एक-एक करके हटाकर देश को एक सूत्र में बांधने का काम किया गया है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को लौह पुरुष की संज्ञा देते हुए शुभकामनाएं दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हजारों वर्ष पहले महाभारत के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया गीता का संदेश केवल पुस्तक का वाचन नहीं है बल्कि यह शास्वत:, सार्वभौमिक, सार्वकालिक है।

उन्होंने स्मरण कराया कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कुरुक्षेत्र आए थे तो उन्होंने कहा था कि गीता की धरा होने के नाते कुरुक्षेत्र का विशेष महत्व है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेते हुए वर्ष 2016 से गीता महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानने की शुरुआत की है। आज विश्व का हर देश चाहता है कि उनके यहां अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन हो। मॉरिशस, कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया में गीता महोत्सव का आयोजन हो चुका है। कल ही श्रीलंका के संस्कृति मंत्री ने श्रीलंका में भी गीता महोत्सव का आयोजन करवाने के लिए उनसे बातचीत की है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने संतों का स्वागत भी किया और उन्हें गीता के प्रचार-प्रसार को गति देने का आग्रह किया। संत-सम्मेलन को योग ऋषि बाबा रामेदव, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर राज्यमंत्री सरदार संदीप सिंह, विधायक सुभाष सुधा, स्वामी अवधेशानंद, स्वामी परमात्मानंद, स्वामी राजेंद्र दास, स्वामी ब्रह्मानंद, स्वामी ब्रह्मस्वरूप, बाबा भूपेन्द्र, स्वामी शाश्वतानंद सहित कई प्रख्यात संत-महात्मा व बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

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