आप या  मान से प्रश्न क्यूँ नहीं पूछते किसान संगठन - जाखड़आप या  मान से प्रश्न क्यूँ नहीं पूछते किसान संगठन - जाखड़

चंडीगढ़, 15 मई।  किसान संगठन पंजाब के लोगों गुमराह न करें। हर मुद्दे पर राजनीति करने वाले किसान संगठनों को अपने सवालों के जवाब जगह-जगह प्रदर्शन करने से नहीं मिलेंगे, जवाब संसद में ही मिलेंगे इसलिए किसान संगठन चुनाव लड़े और तर्कों का साथ अपनी बात संसद में रखें।

यह कहना है पंजाब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ का, जिन्होंने प्रेसवार्ता के दौरान किसान संगठनों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने ने कहा कि किसान संगठन आम आदमी पार्टी या कांग्रेस का खुलकर समर्थन करें और उनसे गारंटी ले कि वह उनके मुद्दों को संसद में उठाकर उनकी समस्याओं को हल करेंगे। किसान संगठन आज किसान नहीं अपने अहम की लड़ाई को लड़ रहे हैं, जिसका खामियाजा पंजाब के छोटे किसान, पंजाब के व्यवसायी और पंजाब के लोग झेल रहे हैं। छोटे किसान यां मजदूर की समस्याओं पर क्यों चुप हैं किसान संगठन?

इस दौरान भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हरजीत सिंह ग्रेवाल, किसान मोर्चा भाजपा पंजाब के अध्यक्ष सरदार दर्शन सिंह नेनेवाल, पंजाब भाजपा के विभिन्न सेलों के संयोजक रंजन कामरा और पंजाब भाजपा के मीडिया प्रमुख विनीत जोशी भी उनके साथ मौजूद रहे। जाखड़ बोले मोदी सरकार ने पिछले 10 साल में किसानों की आय को दोगुना कर दिखाया है। वर्ष 2014 में गेहूं और धान की एमएसपी से खरीद पर 32211 करोड़ का भुगतान हुआ,जबकि वर्ष 2024 में इस पर सरकार ने 70385 करोड़ रुपये का भुगतान किया। अभी धान की फसल खरीदना बाकी है। वर्ष 2013-14 में कृषि बजट 21900 करोड़ रुपये था, जोकि इस वित्तवर्ष 1.25 लाख करोड़ रुपये है। फर्क दिखता है लेकिन देखने के लिए नियत साफ होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब में लगभग 23 लाख किसानों के किसान सम्मान निधि कार्ड बनाए थे। आम आदमी पार्टी के शासन में सिर्फ साढ़े आठ लाख किसानों के कार्ड हैं और 14 लाख किसान इस योजना के लाभ से वंचित हैं। यह सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि सरकार किसानों का केवाईसी कराने में विफल रही। इससे पंजाब के किसानों को हर साल 900 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सरकार बताए कि किसानों का केवाईसी क्यों करवाया। सरकार आपके द्वार और 1076 हेल्पलाइन कब काम करेगा।    

पुरानी खबर की कटिंग दिखाते हुए जाखड़ बोले कि भगवंत मान खुद कह चुके हैं किसान सिर्फ पैसे इकट्ठे करने के लिए प्रदर्शन करते हैं। पिछले साल बाढ़ पीड़ितों को नुकसान के एवज में मान अपने चुनावी वादे अनुसार किसान को प्रति एकड़ 20,000 रुपये मुआवजा क्यों नहीं देते हैं। जबकि प्रति एकड़ फसल नुकसान के लिए 6800 रुपये के हिसाब से 180 करोड़ रुपये जो राशि जो केंद्र की भाजपा सरकार भेजती है, उस भाजपा का विरोध किया जा रहा है।  मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान को गेहूं पर एमएसपी के अलावा 125 रुपये बोनस मिलता है, लेकिन पंजाब में कुछ नहीं मिलता है। इस पर किसान संगठन कभी मोर्चा नहीं खोलते हैं।

जाखड़ ने सवाल उठाया कि चंडीगढ़ में धरने की घोषणा कर दिल्ली की तरफ चल क्यों चले गए थे किसान संगठन, क्या दबाब था, क्या समझोता था, किस की बात सुनी ?  किसान संगठनों की इसी गुटबाजी में शुभकरण सिंह की मौत हो गई, अगर किसान यूनियनें अपनी जगह नहीं बदलती तो इस नुकसान को टाला जा सकता था। किसान संगठनों की गुटबाजी से लोगों का किसान आंदोलन के प्रति विश्वास कम हुआ है।

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