पंजाब सरकार द्वारा अनुसूचित जाति सर्टिफिकेट की जालसाज़ी के विरुद्ध शुरु की गई मुहिम के अंतर्गत एक और सर्टिफिकेट रद्द

चंडीगढ़, 24 अगस्त:

 

मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार राज्य की अनुसूचित जातियों के हितों की रक्षा के लिए वचनबद्ध है। इस दिशा में सामाजिक न्याय, अधिकारिता एवं अल्पसंख्यक विभाग द्वारा काम करते हुए श्री सुखतियार सिंह पुत्र श्री सुच्चा सिंह जोकि सरकारी सीनियर सेकंडरी स्कूल चक्क वजीदा फाजिल्का में बतौर पंजाबी लैक्चरर काम करता है का जाली अनुसूचित जाति सर्टिफिकेट सरकार स्तर पर गठित राज स्तरीय सक्रूटनी कमेटी द्वारा रद्द कर दिया गया है।

 

और ज्यादा जानकारी देते हुए सामाजिक न्याय, अधिकारिता एवं अल्पसंख्यक संबंधी मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि श्री बलवीर सिंह पुत्र श्री निर्मल सिंह गाँव आलमपुर डाकख़ाना कौली जि़ला पटियाला द्वारा शिकायत दर्ज करवाई गई थी कि जि़ला फाजिल्का के निवासी श्री सुखतियार सिंह पुत्र श्री सुच्चा सिंह राए सिख जाति से सम्बन्धित होने के बावजूद अनुसूचित जाति का जाली सर्टिफिकेट बनाया है।

 

मंत्री ने आगे कहा कि श्री सुखतियार सिंह राए सिख जाति से सम्बन्ध रखता है जबकि उसके द्वारा सिरकीबन्द जाति का सर्टिफिकेट बनाया गया है। उसके द्वारा इस सर्टिफिकेट के आधार पर ई.टी.टी. में दाखि़ला लिया गया था। जि़ला कल्याण अधिकारी, फिऱोज़पुर की साल 2001 की रिपोर्ट के अनुसार उसकी जाति गलत होने के कारण ई.टी.टी के चौथे समेस्टर का परिणाम रोक लिया गया और एस.सी.ई.आर.टी द्वारा ई.टी.टी का दाखि़ला रद्द कर दिया था। उसके द्वारा माननीय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। माननीय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का फ़ैसला तारीख़ 6-4-2004 के द्वारा उसे राहत न देते हुए, याचिका खारिज कर दी गई थी। इसके बावजूद उसने सरंडर नहीं किया, बल्कि बी.एड करके 2006 में इस सर्टिफिकेट के आधार पर पंजाबी लैक्चरर की नौकरी हासिल की।

 

उन्होंने कहा कि राज्य स्तरीय सक्रूटनी कमेटी द्वारा विजीलैंस सैल की रिपोर्ट विचारते हुए श्री सुखतियार सिंह का अनुसूचित जाति सर्टिफिकेट नकली होने की पुष्टि हुई है और रद्द करने का फ़ैसला किया है।
मंत्री ने बताया कि विभाग ने फाजिल्का और फिऱोज़पुर के डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखकर श्री सुखतियार सिंह के अनुसूचित जाति सर्टिफिकेट नंबर 577 तारीख़ 09.08.1994 को रद्द करने और ज़ब्त करने के लिए कहा है।