बारिश व बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को आर्थिक तथा मेडिकल सहायता पहुंचा रही सरकार- मुख्यमंत्री

चंडीगढ़, 19 जुलाई-

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा सरकार बाढ़ राहत के लिए हिमाचल सीएम राहत कोष में 5 करोड़ रुपये की सहायता का योगदान देगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार राज्य में पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण प्रभावित इलाकों और लोगों को आर्थिक तथा मेडिकल सहायता सहित हर संभव मदद प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि 12 जिलों नामतः अंबाला, फतेहाबाद, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, पंचकुला, पानीपत, पलवल, सोनीपत, सिरसा और यमुनानगर को बाढ़ प्रभावित घोषित किया गया है। 1353 गांवों और 4 एमसी क्षेत्र बारिश व बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।मुख्यमंत्री आज यहां प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि 8 से 12 जुलाई के दौरान राज्य में 110 एमएम वर्षा हुई, जोकि सामान्य 28.4 एमएम का 387 प्रतिशत है। यमुनानगर में सामान्य बारिश 32.8 एमएम, कुरूक्षेत्र में 32.9 एमएम, पंचकूला में 53 एमएम और अंबाला में 58.5 एमएम होती थी, जबकि इस बार इन चारों जिलों में क्रमशः सामान्य बारिश का 842, 814, 699 व  514 प्रतिशत वर्षा हुई है। हरियाणा के अधिकांश भागों के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में भी अत्यधिक भारी वर्षा हुई है। इससे राज्य में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई और सामान्य स्थिति बिगड़ गई। जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया।

खनन का बाढ़ से कोई संबंध नहीं

विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष द्वारा यह बयान देना कि नदियों में बढ़ते खनन के कारण राज्य में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई है, इस तरह के बयान अतार्किक हैं, क्योंकि बाढ़ और खनन का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि खनन योजना के अनुसार नदी तलों में वैध खनन से नदियों की जल ग्रहण क्षमता में वृद्धि हो सकती है और निचले इलाकों में बाढ़ को रोकने में मदद मिल सकती है, क्योंकि खनन प्रक्रिया में अतिरिक्त जमा गाद को हटा दिया जाता है।

श्री मनोहर लाल ने यह भी सुझाव दिया कि नहरों से खनन और अतिरिक्त सिल्ट को हटाया जाना चाहिए ताकि नहरों की तलहटी में उनकी जल क्षमता भी बढ़ सके।उन्होंने कहा कि जनवरी में हुई बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक के दौरान बाढ़ राहत कार्यों से निपटने के लिए 930 करोड़ रुपये पहले ही स्वीकृत किये जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि हथनीकुंड बैराज से 500 मीटर पीछे बांध बनाने के प्रस्ताव पर  हिमाचल सरकार के साथ  कार्य  किया  जा रहा है। उन्होंने कहा कि बाढ़ से राज्य में प्रारंभिक अनुमान के अनुसार लगभग 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जिसमें से लगभग 281 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से आपदा राहत राशि के रूप में प्राप्त हो चुके हैं। इसके अलावा बाढ़ राहत के लिए केंद्र सरकार से अतिरिक्त राशि की मांग की जायेगी।

बारिश व बाढ़ के कारण 35 लोगों की मृत्यु हुई

श्री मनोहर लाल ने बताया कि अभी तक प्राप्त सूचना के अनुसार प्रदेश में बारिश व बाढ़ के कारण 35 लोगों की मृत्यु हुई है। मृत्यु होने पर लोगों के परिवारों को डिजास्टर फंड में से 4 लाख रुपये प्रति व्यक्ति मुआवजा दिया जाएगा। अंगों की हानि के लिए यदि दिव्यांगता 40 से 60 प्रतिशत है तो प्रति व्यक्ति 74,000 रुपये, यदि दिव्यांगता 60 प्रतिशत से अधिक है तो प्रति व्यक्ति 2 लाख 50 हजार रुपये दिये जायेंगे। इसके अलावा, दुधारू पशुओं के लिए भी फंड के प्रावधान अनुसार सहायता दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लगभग 6629 व्यक्तियों को निकाला गया है। उनके लिए 41 राहत शिविर लगाए गए। इन शिविरों में आज भी 1744 लोग रह रहे हैं। बाढ़ग्रस्त इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए खाद्य और अन्य नागरिक आपूर्ति व्यवस्थाएं बनाई गई हैं। इन प्रभावित जिलों में सेना, वायुसेना, एन.डी.आर.एफ. और एस.डी.आर.एफ., सामाजिक व गैर सरकारी संगठनों द्वारा बचाव और राहत कार्यों में जिला प्रशासन की अथक सहायता की जा रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भारी और लगातार बारिश के कारण उत्पन्न गंभीर स्थितियों की समीक्षा करने के लिए बाढ़ प्रभावित जिलों के प्रभारी के रूप में तुरंत प्रशासनिक सचिवों को नियुक्त किया और उन्हें प्रभावित क्षेत्रों में मॉनिटरिंग करने सहित सभी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए गए हैं।

जलभराव वाले क्षेत्रों में लगाए 2878 मेडिकल कैंप, 37,500 से ज्यादा मरीजों की जांच कर उनका इलाज किया गया

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जलभराव वाले क्षेत्रों में डॉक्टरों की टीमें भेजकर चिकित्सा के समुचित प्रबंध किये हैं। इन क्षेत्रों में 2878 मेडिकल कैंप लगाये गये हैं। इनमें लगभग 37,500 से ज्यादा मरीजों की जांच कर उनका इलाज किया गया है। 25,000 ओ.आर.एस. के पैकेट दिये गये हैं। इसके अलावा, एहतियात के तौर पर विभाग द्वारा 147 गांवों में फोगिंग भी करवाई गई है।

इसके अलावा, पशुओं की देखभाल के लिए भी विशेष कैंप लगाए गए हैं। इन कैंपों में पानी की आपूर्ति और दवाओं सहित चारा के लिए प्रावधान किया गया है। बड़े जानवरों के लिए जहां 80 रुपये प्रतिदिन की दर से सहायता प्रदान की जा रही है, वहीं छोटे जानवरों के लिए 45 रुपये प्रति दिन की दर से सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि अभी तक प्राप्त सूचना के अनुसार 125 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं और 615 घर को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इस बाढ़ में पशुधन भी प्रभावित हुआ है। इतना ही नहीं, सिंचाई और जल संसाधन विभाग द्वारा 399 संरचनाओं और लाइनिंग, बांधों और किनारों के कटाव की सूचना दी गई है, जिसकी मरम्मत पर 90 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

उन्होंने कहा कि बारिश और बाढ़ से पूरे राज्य में 3,369 खंभे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसके अलावा 1477 ट्रांसफार्मर (डी.टी.) और अन्य बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचा है। इनकी मरम्मत के लिए लगभग 22.08 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। प्रदेश में 17 सरकारी पशु औषधालय और सरकारी पशु अस्पताल भवनों को नुकसान पहुंचा है। इनकी मरम्मत के लिए 1 करोड़ 24 लाख रुपये की राशि खर्च की जाएगी।

सड़कों की मरम्मत के लिए एस.ई. की अध्यक्षता में कमेटियां गठित

श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में संबंधित एस.ई. की अध्यक्षता में कमेटियां गठित की गई हैं। यह कमेटी सड़कों की मरम्मत के लिए 10 लाख रुपये से एक करोड़ रूपये तक के कार्य करवा सकती है। एक करोड़ रूपये से ऊपर के कार्यों को हरियाणा इंजीरियरिंग वर्क्स पोर्टल पर 7 दिनों की समय सीमा में निविदाएं आमंत्रित करके निपटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 1142 कि.मी. लंबी 996 सड़कें प्रभावित हुईं, जिनकी मरम्मत के लिए 230 करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी। उन्होंने कहा कि बचाव कार्यों के लिए जिलों को प्रारंभिक मदद के लिए तुरंत 4.50 करोड़ की राशि जारी की गई थी। इसके बाद वित्त आयुक्त, राजस्व  ने उपायुक्तों को तत्काल प्रभाव से मदद देने के लिए पॉवर डेलिगेट की है। पहले यह पॉवर 20 हजार रुपये ही थी। अब उपायुक्त आवश्यकतानुसार मदद या मुआवजा दे सकते हैं।

बाढ़ से फसल को नुकसान पहुंचा है, लेकिन सही आकलन जुलाई माह के बाद होगा

श्री मनोहर लाल ने कहा कि बाढ़ से फसल को भी नुकसान पहुंचा है, लेकिन कितना नुकसान हुआ है उसका आंकलन जुलाई माह के बाद किया जाएगा। क्योंकि 31 जुलाई तक कुछ फसलों की बिजाई दोबारा से की जा सकती है। जिन इलाकों में पानी नहीं उतर पाएगा, उसके लिए अलग से विचार किया जाएगा, लेकिन हमारे जो पहले से प्रावधान है, मुआवजा देने के वो 15 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से शत प्रतिशत नुकसान के लिए उस दर से मुआवजा दिया जाएगा। उसमें कुछ पैसा केंद्र की ओर से भी आता है। गन्ने की फसल में अभी ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है, जहां कहीं पानी है वह उतर जाएगा। चारा, सब्जियों को ज्यादा नुकसान हुआ है। कॉटन का भी नुकसान हुआ है। मक्का, दालें इत्यादि कुल मिलाकर 18 हजार एकड़ में नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा कि इस बार किसानों को आह्वान किया गया है कि वे मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपनी पूरी खेती योग्य जमीन का पंजीकरण करें, चाहे जमीन खाली भी हो, उस भूमि का भी पंजीकरण अवश्य करवाएं। ऐसा प्रयोग पहली बार किया जा रहा है। किसानों द्वारा उनकी जमीन का शत-प्रतिशत पंजीकरण करवाने के लिए उनके खातों में 100 रुपये की राशि पुरस्कार स्वरूप उनके खातों में डाली जाएगी। इसके अलावा राज्य स्तर पर भी बड़े ईनाम जैसे ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और मोबाइल इत्यादि भी दिये जाएंगे। उन्होंने कहा कि क्षतिपूर्ति पोर्टल पर यह नुकसान की जानकारी किसानों द्वारा डाली जाएगी, उसके बाद टीम उसका सर्वे करेगी और जैसे – जैसे कमेटी अप्रूव करेगी, मुआवजा दिया जाएगा। यह पोर्टल खुलने की तिथि से एक महीने के लिए खुला रहेगा। उन्होंने नागरिकों के अपील की कि लोग सावधानी बरतें। पानी उबालकर पीएं। इस दौरान बीमारियां फैलने का डर रहता है, इसलिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। कोई भी लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री डीएस ढेसी, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा वित्त आयुक्त, राजस्व श्री राजेश खुल्लर, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अंकुर गुप्ता, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री वी. उमाशंकर, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव, डॉ. अमित कुमार अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई) श्री देवेन्द्र सिंह, बिजली निगमों के चेयरमैन श्री. पी.के. दास, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री अमित आर्य और महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएँ, श्रीमती सोनिया खुल्लर समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।