ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से प्रदेश में कुल 1 लाख 2 हजार परामर्श दिए गए
चंडीगढ़, 23 अक्तूबर– हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया के विजन के अनुरूप सुदूर क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के उद्देश्य से नवम्बर 2019 में शुरू हुई ई-संजीवनी सेवा आज नागरिकों के लिए बेहद कारगर साबित हो रही है। हरियाणा में भी ई-संजीवनी ओपीडी की सेवाएं 16 अगस्त 2021 से 24 घंटे उपलब्ध कराई जा रही हैं। ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से 1 लाख 2 हजार परामर्श दिए गए हैं। ई- संजीवनी इस बात का प्रमाण हैं कि भारत में डिजिटल स्वास्थ्य का युग आ चुका है।
मुख्यमंत्री आज यहां सीएम की विशेष चर्चा कार्यक्रम के तहत ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ई-संजीवनी स्वास्थ्य सेवा के लाभार्थियों से सीधा संवाद कर रहे थे।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौर में घर से बाहर निकलना जोखिमपूर्ण था। इस वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए लॉकडाउन लगाना पड़ा था। उस समय लोग बीमार होने पर कोविड से बचाव को ध्यान में रखते हुए अस्पताल जाने से डरते थे। यदि अस्पताल जाएं भी तो वहां मरीजों की भारी संख्या के चलते डॉक्टर से मिल पाना बहुत मुश्किल था। ऐसे समय में घर बैठे चिकित्सीय परामर्श लेकर उपचार करवाने के लिए ई-संजीवनी सेवा अत्यंत कारगर साबित हुई। हरियाणा में इस सेवा की शुरुआत 1 मई, 2020 को की गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए टेलीपरामर्श को व्यापक और सशक्त बनाया है। प्रदेश के हर जिला सिविल अस्पताल में एक-एक अर्थात 22 टेलीकंसल्टेशन हब स्थापित किये गये हैं। इससे भी एक कदम और आगे बढ़कर पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ की सांझेदारी में एक स्पेशलिस्ट हब और एक सुपर स्पेशलिस्ट हब शुरू किये गये हैं। इनके माध्यम से स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों से सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और उप स्वास्थ्य केन्द्रों का सीधा सम्पर्क संभव हो सका है। इस टेली- परामर्श सेवा को राज्य के सभी जिलों से जोड़ा गया है। इसके माध्यम से अब तक लगभग 2 लाख 50 हजार टेली- परामर्श प्राप्त हो चुके हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि इनमें से 50 प्रतिशत परामर्श पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के विशेषज्ञ हब के डॉक्टरों से मिले हैं।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि ई-संजीवनी के माध्यम से टेलीकंसल्टेशन सेवाओं से हरियाणा के स्वास्थ्य परिदृश्य में उल्लेखनीय बदलाव हुआ है। इस सेवा से मरीजों के इलाज का खर्च न के बराबर है और आने जाने की दिक्कत भी खत्म हुई है। साथ ही चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में भी सुधार हुआ है। इसका एक और लाभ यह भी है कि एक स्थान पर अपने घर बैठे व्यक्ति प्रदेश के किसी भी कोने में स्थित सरकारी चिकित्सा संस्थान के डॉक्टरों से परामर्श प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ई-संजीवनी सेवाओं ने हमारे गरीब से गरीब व्यक्ति तक उच्चकोटि की स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लक्ष्य की प्राप्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ई-संजीवनी को और अधिक मजबूत सेवा बनाने का बीड़ा उठाया। इसका लाभ यह है कि यदि नागरिकों को कोई गंभीर बीमारी नहीं है तो उन्हें अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ती। दूसरी ओर अस्पतालों में भी मरीजों का दबाव कम होता है। टेलीपरामर्श के दौरान यदि डाक्टर को लगता है कि अधिक जांच के लिए अस्पताल ही जाने की जरूरत है तो वह बता देते हैं। यदि आप टेलीपरामर्श से ही ठीक हो जाते हैं तो आपका व अस्पताल दोनों का समय बचता है। ई-संजीवनी सेवा का उपयोग कोई भी व्यक्ति घर पर ही कर सकता है। लैपटॉप अथवा कम्प्यूटर या इंटरनेट के साथ एंड्रॉइड स्मार्ट फोन द्वारा वीडियो कॉल या लाइव चैट के माध्यम से इसकी सेवाएं प्राप्त की जा सकती हैं। इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करके लोगों ने अपनी जांच की रिपोर्ट भी अपलोड की होगी, जिसे देखकर डॉक्टर ने परामर्श दिया होगा और दवा भी लिखी होगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के तहत 228 प्रकार के ऑप्रेशन, 70 प्रकार के टेस्ट और 21 प्रकार की दंत चिकित्सा मुफ्त की जाती हैं। साथ ही, 500 दवाइयां भी मुफ्त दी जाती हैं। हरियाणा देश का पहला राज्य है, जहां हैपेटाइटिस सी व बी की दवाइयां मुफ्त उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के बाद हमने पाया कि जनसंख्या के अनुसार डॉक्टर्स की संख्या बहुत कम है। इसलिए हमने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया। वर्ष 2014 में 6 मेडिकल कॉलेज थे और एमबीबीएस की 700 सीटें थी। हमारी सरकार ने हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। आज बहुत से मेडिकल कॉलेज बन चुके हैं, जिससे एमबीबीएस की सीटें लगभग 1900 हो चुकी हैं। अभी जितने मेडिकल कॉलेज पाइपलाइन में हैं, उनके बनने से मेडिकल कॉलेजों की संख्या 25 हो जाएगी। परिणामस्वरूप एमबीबीएस की 3500 सीटें उपलब्ध होंगी।
उन्होंने कहा कि पीजी की सीटों में भी वृद्धि हुई है। इनके अलावा, पैरामेडिक्स, नर्सिंग, फिजियोथेरेपी कॉलेज को भी बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि स्टाफ की कमी को पूरा किया जा सके। डॉक्टर्स की संख्या बढ़ेगी तो गांव के दूर-दराज के क्षेत्रों में भी अच्छे डॉक्टर उपलब्ध होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में हरियाणा सरकार ने कई कदम उठाए हैं। हमने प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान भारत योजना का विस्तार करते हुए चिरायु आयुष्मान योजना शुरू की है। इसमें 1 लाख 80 हजार रुपये तक वार्षिक आय वाले परिवारों को 5 लाख रुपये वार्षिक का स्वास्थ्य कवर मिल रहा है। अब इसमें 3 लाख रुपये तक वार्षिक आय वाले परिवार भी शामिल किये गए हैं। इससे लगभग 8 लाख और परिवार कवर हो जाएंगे। इन परिवारों को स्वास्थ्य बीमा के रूप में मात्र 1500 रुपये वार्षिक जमा करवाने होंगे। इससे 8 लाख नये परिवार योजना में जुड़ेंगे। इस प्रकार, अब इस योजना के तहत हरियाणा में कुल 37 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा। अब तक प्रदेश में 86 लाख चिरायु कार्ड बनाए जा चुके हैं। इस योजना में प्रदेश में 8 लाख 50 हजार मरीजों के इलाज के लिए 1088 करोड़ रुपये के क्लेम दिये जा चुके हैं।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में अंत्योदय परिवारों की स्वास्थ्य जांच के लिए निरोगी हरियाणा योजना भी शुरू की गई है। इस योजना का उद्देश्य प्रदेश की सम्पूर्ण जनसंख्या की 2 साल में कम से कम एक बार सम्पूर्ण स्वास्थ्य जांच करना है। इसके तहत 25 मानकों के आधार पर गरीब व वंचित परिवारों की स्वास्थ्य जांच की जा रही है। इसके तहत 32 लाख से अधिक व्यक्तियों के स्वास्थ्य की जांच तथा विभिन्न प्रकार के 1 करोड़ 72 लाख मुफ्त टैस्ट किये गये हैं।
इस मौके पर मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना, लोक संपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल, स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव श्री राजनारायण कौशिक, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. सोनिया त्रिखा खुल्लर, मुख्यमंत्री के ओएसडी श्री विरेंद्र सिंह, श्री नरेंद्र मलिक, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार श्री भारत भूषण भारती और सूचना, लोक संपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) श्री गौरव गुप्ता सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।