मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन में किया संबोधनमुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन में किया संबोधन

चंडीगढ़, 2 नवंबर। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा किआर्य समाज के प्रगतिशील विचारों को आज फिर उसी संकल्प, निष्ठा और समर्पण के साथ गांव-गांव और गली-गली तक पहुंचाने की जरूरत है, जिससे कि भारत ‘आध्यात्मिक गुरु’ का अपना प्राचीन गौरव फिर से हासिल कर सके।

मुख्यमंत्री रविवार को दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2025 को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस मौके आर्य समाज की स्मारिका का विमोचन किया जिसमें आर्य समाज के 150 साल का स्वर्णिम अध्याय संकलित है। मुख्यमंत्री ने संस्था को अपने ऐच्छिक कोष से 51 लाख रुपए भी देने की घोषणा की। इस मौके पर गुजरात और महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत भी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि भारत को पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित करना है, तो हमें महर्षि दयानंद जी की शिक्षाओं का अनुसरण करना होगा। उन्होंने कहा कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति का महत्व पहले से भी अधिक बढ़ गया है। गुरुकुल प्रणाली में युवकों के चरित्र निर्माण और नैतिक गुणों के विकास पर विशेष बल दिया जाता है। सादगी और उच्च विचार इसके मूल आधार हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महर्षि दयानंद की विचार-रूपी सूर्य की किरणें, सम्पूर्ण विश्व को प्रकाशित करती रहें, इसी उद्देश्य से 1875 में आर्य समाज की स्थापना हुई। आर्य समाज एकमात्र ऐसा संगठन है, जिसने धर्म, समाज और राष्ट्र तीनों के लिए अभूतपूर्व कार्य किये हैं। आर्य समाज ने लोगों में चेतना जागृत कर उन्हें देश और धर्म की रक्षा के लिए सजग किया। इसके अलावा, जातिवाद का अंत करने, सबको पढ़ने का अधिकार, स्त्री शिक्षा, विधवा विवाह, छुआछूत को समाप्त करने, गौ रक्षा आदि के लिए उल्लेखनीय भूमिका भी निभाई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महर्षि दयानंद ने सबसे पहले स्वराज की मशाल जलाई और नागरिकों को आजादी के लिए जागृत किया। यही कारण था कि देश के हर कोने में आजादी के आंदोलन ने गति पकड़ी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अमर शहीद मदन लाल ढींगड़ा  और शहीद-ए-आजम भगत सिंह  जैसे नौजवान क्रांतिकारियों के जीवन पर आर्य समाज की गहरी छाप थी। उन्होंने कहा कि स्वामी जी सामाजिक पतन को देश की पराधीनता का कारण मानते थे,  इसलिए उन्होंने शिक्षा के प्रचार, धार्मिक सुधार, सामाजिक सुधार जैसे क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने पर बल दिया। इसलिए उन्हें सामाजिक चेतना का “अग्रदूत” भी कहा जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुकुलों का युवाओं को देशभक्त, कर्तव्यनिष्ठ और संस्कारवान बनाने में बड़ा योगदान है। आर्य समाज ने वेदों को पढ़ने और उनके मूल्यों को धारण करने की जो राह दिखाई है, उसके कारण समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक प्रगति हुई है। हमारे गुरुकुलों में विद्यार्थियों को योग भी सिखाया जाता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम का नाम नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक विकास में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संगठन द्वारा हर वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। इससे दुनिया में भारत की इस अमूल्य विरासत को पुनः सम्मान मिला है। हरियाणा सरकार योग एवं व्यायामशालाएं स्थापित कर रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महर्षि दयानंद  ने सबसे ज्यादा स्त्री शिक्षा की वकालत की थी। स्वामी दयानंद , स्वामी श्रद्धानंद जैसे आर्यों ने और दूसरे महान आचार्यों ने गुरुकुल परम्परा को आगे बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया। आज भी आर्य संस्थाओं में लाखों की संख्या में बेटियां व बेटे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

श्री नायब सिंह ने बताया कि वेदों में यह कहा गया है कि ‘वेद बिना मति नहीं, गाय बिना गति नहीं’। गाय आदिकाल से ही भारतीय संस्कृति में पूजनीय रही है। सरकार प्रदेश में गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए लगातार कार्य कर रही है।

श्री नायब सिंह ने कहा कि हरियाणा में शिक्षा को रोजगारपरक बनाने के लिए लगातार नये-नये कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा स्वच्छता और योग को नैतिक शिक्षा का हिस्सा बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने उपस्थित जनों से आह्वान किया है कि वे गुरुकुल शिक्षा पद्धति से जुड़कर देश और प्रदेश के विकास में अपनी भूमिका निभाने का काम करें।

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