चंडीगढ़, 13 अगस्त। शिक्षा मनुष्य के विचार को बल देती है उसके सोचने समझने और कार्य करने की क्षमता को कई गुना बढ़ाती है, जिससे मनुष्य अपने व समाज के विभिन्न वर्गों का जीवन सुगम बनाने में सफल होता है और दिन प्रतिदिन नए आविष्कार करता है। नवाचार के इस आधुनिक युग में शिक्षा को भी आधुनिक बनाने के लिए नई शिक्षा नीति-2020 तैयार की गई है।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय आज राजभवन में आयोजित दो दिवसीय समीक्षा बैठक में दूसरे व अंतिम दिन समापन सत्र में निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व कुलसचिवों को सम्बोधित कर रहे थे। हरियाणा प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों से आए कुलपतियों ने अपने-अपने विश्वविद्यालयों की स्थिति के बारे में कॉन्फ्रेंस में प्रेजेंटेशन दी। जिस पर राज्यपाल ने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने पर सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को सम्पूर्ण ज्ञान का केंद्र बनना चाहिए। प्रत्येक बच्चा शिक्षा के साथ-साथ एनसीसी, एनएसएस, रेड क्रॉस, खेल व सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल हो, जिससे उनका बहुआयामी विकास हो।
विश्वविद्यालयों को रिसर्च और इनोवेशन पर अधिक महत्व देना चाहिए। देश की जरूरत और स्थानीय लोगों की जरुरत के अनुसार रिसर्च कार्यक्रम चलाने चाहिए। जिसका लाभ आम जन को मिल सके। साथ ही विश्वविद्यालयों को बहु राष्ट्रीय कंपनी के साथ मिलकर भी रिसर्च प्रोग्राम चलाने चाहिए। जिससे विश्वविद्यालय आर्थिक सम्पनता की तरफ बढ़ेगा। जिसके फलस्वरूप वे एससी, एसटी और अन्य जरूरतमंद बच्चों को स्कालरशिप भी प्रदान कर सकेगा।
राज्यपाल ने निजी विश्वविद्यालयों में नियमित पदों के विरुद्ध भर्ती, इंफ्रास्ट्रक्चर, खेल सुविधाएं व अन्य मापदंड जो विश्वविद्यालयों को सर्वाेत्तम नैक ग्रेडेशन दिलाने में सहायक हो जैसे कुछ गंभीर विषयों पर कुलपतियों व कुलसचिवों से चर्चा की।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को राज्य में पूर्ण रूप से लागू करने में निजी विश्वविद्यालय भी अपनी भूमिका निभाएं और जीवन मूल्यों को शिक्षा नीति में शामिल करें। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान का ढेर नहीं है बल्कि जीवन मूल्यों को आत्मसात करने का माध्यम है और इसके बिना शिक्षा अधूरी है।
राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों में कौशल विकास की भावना विकसित करना आज के युग में अति महत्वपूर्ण है। इसलिए निजी विश्वविद्यालयों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, एज कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, वर्चुअल रियलिटी, साइबर सिक्योरिटी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे नए कोर्स शुरू करने पर ध्यान देना चाहिए। जिससे विद्यार्थी अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद
स्टार्टअप शुरू करें और जॉब क्रिएटर बनें।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी को खत्म करने के लिए युवाओं को हुनरमंद बनाना जरूरी है। तकनीकी शिक्षा का जितना फैलाव होगा युवा उतना ही आत्मनिर्भर बनेगा और उसे सहज ही रोजगार भी मिल जाएगा। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत समानता, न्याय, बंधुत्व, समान शिक्षा-सबको शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है जिससे आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा।
इस अवसर पर मुख्य सचिव टी.वी.एस.एन. प्रसाद, राज्यपाल के सचिव अतुल द्विवेदी, हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के चेयरपर्सन डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा, हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. एस. के. गक्खड़ सहित राज्य के निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति व कुलसचिव भी मौजूद रहे।