चंडीगढ़, 5 अगस्त। हरियाणा कैबिनेट ने आज कई बड़े फैसले हुए एक साथ कई वर्गों को राहत प्रदान कर दी हैं वहीं कुछ वर्गों से जुड़ी योजनाओं में संशोधन पर मुहर लगाते हुए इन वर्गों को राहत पहुंचाने का रास्ता तैयार कर दिया है। बैठक में विभिन्न वर्गों को खुश करने वाले कई फैसले लिए गए।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) के अनुसार हरियाणा सरकार के रिटायर्ड न्यायिक अधिकारियों की पेंशन/पारिवारिक पेंशन (2016 से पूर्व और 2016 के बाद) में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई।
संशोधन के अनुसार, अब 2016 से पूर्व सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के लिए, मौजूदा मूल पेंशन/पारिवारिक पेंशन (31 दिसंबर 2015 तक) को 2.81 के कारक से गुणा करके संशोधित किया जाएगा। वैकल्पिक रूप से, हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) और हरियाणा वरिष्ठ न्यायिक सेवा पुनरीक्षित वेतन नियम, 2023 की फिटमेंट तालिका के अनुसार उनके वेतन को नोशनली निर्धारित करके पेंशन/पारिवारिक पेंशन को संशोधित किया जा सकता है। इस मामले में कुछ शर्तें भी तय कर दी गई हैं।
हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी
बैठक में हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 में संशोधन करने के लिए हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) संशोधन अध्यादेश, 2024 के प्रारूप को मंजूरी दी गई।
प्रस्तावित ड्राफ्ट अध्यादेश के अनुसार, अब हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग का अध्यक्ष उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होगा, यदि उसे नियुक्त किया जाता है, और यदि उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त नहीं किया जाता है, तो जिला न्यायाधीश को नियुक्त किया जा सकता है। अगर जिला न्यायाधीश को भी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया जाता है, तो आयोग के तीन चयनित सदस्यों में से एक को वरिष्ठता (यह वरिष्ठता सेवा में रहने की हो या बार में प्रैक्टिस की ) के आधार पर अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। ड्राफ्ट के अनुसार अध्यक्ष या सदस्य का कार्यकाल उसके कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्ष होगा।
बस स्टैंडों पर ठेकेदार/दुकानदारों को छूट
कोविड-19 की रोकथाम के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के कारण उत्पन्न वित्तीय संकट से राहत देने के लिए हरियाणा सरकार ने रोडवेज के सभी बस स्टैंडों पर ठेकेदार/दुकानदारों के हित में किराया/समायोजन/वापसी योजना तैयार की है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के दौरान पूरे देश में 22 मार्च, 2020 से 31 मई, 2020 तक लॉकडाउन लगाया गया था तथा 1 जून, 2020 से गतिविधियों पर आंशिक प्रतिबंध था। इसी अवधि के दौरान हरियाणा रोडवेज के बस अड्डों पर बसों के आवागमन बंद होने के कारण दुकानों का कारोबार सीधे तौर पर प्रभावित हुआ। इसलिए ऐसे ठेकेदार/दुकानदारों के हित में सरकार ने किराया/समायोजन/वापसी योजना बनाई है। यह योजना हरियाणा सरकार ने जारी की है, लेकिन यह किराया/समायोजन/वापसी 1 अप्रैल, 2020 से 31 जुलाई, 2020 तक की अवधि के लिए होगी।
खनन विभाग के अधिकारियों को भी चालान की शक्ति
कैबिनेट ने अब खनन अधिकारी या इससे उच्च रैंक के अधिकारियों के पास खनन सामग्री ले जाने वाले माल वाहकों के चालान करने की शक्ति प्रदान कर दी है।
हरियाणा राज्य में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के प्रावधानों को लागू करने के लिए, हरियाणा मोटर वाहन नियम, 1993 के नियम 225 के तहत स्थापित मोटर वाहन विभाग को खनन विभाग के अधिकारियों, जो खनन अधिकारी के पद से नीचे के न हों, को चालान करने की शक्तियां देकर पुनर्गठित किया जाना आवश्यक है। मोटर वाहन विभाग के पुनर्गठन से विभाग द्वारा जांच की प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने में सहायता मिलेगी तथा उक्त अधिनियम के प्रावधानों को राज्य में अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।
हरियाणा मोटर वाहन नियम, 1993 के नियम 225 और 226 में संशोधन किया गया है।
इस वर्ग को भी छूट को मंजूरी
बैठक में हरियाणा धोलीदार, बूटीमार, भोंडेदार एवं मुकररीदार (स्वामित्व अधिकारों का निहित होना) नियम, 2011 में संशोधन को मंजूरी दी गई।
इन नियमों को हरियाणा धोलीदार, बूटीमार, भोंडेदार एवं मुकररीदार (स्वामित्व अधिकारों का निहित होना) संशोधन नियम, 2024 कहा जा सकता है। ये नियम सरकारी राजपत्र में प्रकाशन की तिथि से प्रभावी होंगे।
अब 10 और फसलों की होगी एसएसपी पर खरीद
किसानों के हितों में बड़ा कदम उठाते हुए कैबिनेट ने सभी फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करने का निर्णय लिया है। प्रदेश में अब 10 फसलें नामतः रागी, सोयाबीन, कालातिल (नाइजरसीड), कुसुम, जौ, मक्का, ज्वार, जूट, खोपरा और मूंग (समर) की एमएसपी पर खरीद की जाएगी।
इस संबंध में हाल में कुरुक्षेत्र के थानेसर विधानसभा में आयोजित जनसभा में उक्त घोषणा की थी। घोषणा के मात्र 24 घंटे बाद ही कैबिनेट में दी गई मंजूरी प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
इन फसलों के लिए एमएसपी का दायरा बढ़ाने का उद्देश्य बाजार की कीमतों को स्थिर करना, किसानों के लिए निरंतर आय सुनिश्चित करना और विविध फसलों की खेती को बढ़ावा देना है। हरियाणा सरकार का मुख्य ध्येय यही है कि किसान की आय स्थिर हो और उसमें वृद्धि हो। सरकार के इस निर्णय से फसल विविधिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।
क्रमांक-2024
दूसरी ओर पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों को क्रिमी लेयर से बाहर रखने संबंधी मानदंडों के प्रस्ताव को घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री की घोषणा अनुरूप राज्य में पिछड़े वर्गों की क्रिमी लेयर की वार्षिक आय सीमा 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दी गई है और मूल्यांकन के मानदंड केंद्र सरकार के मानदंडों के अनुसार होंगे। इसकी अधिसूचना राज्य सरकार द्वारा 16 जुलाई, 2024 को जारी कर दी गई थी।
पिछड़े वर्ग-बी को भी पालिकाओं और पंचायती राज संस्थाओं में मिलेगा आरक्षण
हरियाणा में पिछड़ा वर्ग-बी के उत्थान के लिए और लोकतांत्रिक व्यवस्था में पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने के लिए राज्य सरकार पंचायती राज संस्थाओं/पालिकाओं के चुनावों में बीसी-बी को आरक्षण देने जा रही है। इस संबंध में कैबिनेट ने पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है। पिछड़े वर्ग ब्लॉक-बी के लिए आरक्षण हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों के आधार पर लागू किया जाएगा।
आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, पिछड़े वर्ग ब्लॉक-बी को भी उनके उत्थान के लिए और लोकतांत्रिक व्यवस्था में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के लिए पंचायती राज संस्थाओं/ पालिकाओं के चुनावों में पिछड़े वर्ग ब्लॉक-ए की तर्ज पर आरक्षण की आवश्यकता है। वर्तमान में राज्य में पिछड़ा वर्ग -ए की जनसंख्या 18.93 प्रतिशत तथा पिछड़ा वर्ग -बी की जनसंख्या 15.05 प्रतिशत है।
पंचायती राज संस्थाओं में अनुशंसित आरक्षण
प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंच का पद पिछड़े वर्ग (बी) के लिए आरक्षित होगा और सीटों की संख्या उसी अनुपात में आरक्षित की जाएंगी, जो उस ग्राम सभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या में पिछड़े वर्गों (बी) की जनसंख्या के आधे प्रतिशत के रूप में होगी।यदि डेसिमल वैल्यू 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक में पूर्णांकित किया जाएगा। बशर्ते कि यदि पिछड़ा वर्ग (बी) की आबादी सभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या के 2 प्रतिशत से कम नहीं है, तो प्रत्येक ग्राम पंचायत में पिछड़े वर्ग (बी) से संबंधित कम से कम एक पंच होगा।
इसी प्रकार, एक ब्लॉक में सरपंच के कुल पदों की संख्या का 5 प्रतिशत और डेसिमल वैल्यू 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक में पूर्णांकित करते हुए पिछड़ा वर्ग (बी) के लिए आरक्षित किया जाएगा।
प्रत्येक पंचायत समिति में सदस्य के पद पिछड़े वर्ग (बी) के लिए कुल सीटों के उसी अनुपात में आरक्षित किए जाएंगे जो ब्लॉक की कुल आबादी में पिछड़ा वर्ग (बी) की आबादी के आधे प्रतिशत के रूप में होगी। यदि डेसिमल वैल्यू 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक में पूर्णांकित किया जाएगा।
प्रत्येक जिला परिषद में सदस्य के पद पिछड़ा वर्ग (बी) के लिए कुल सीटों के उसी अनुपात में आरक्षित किए जाएंगे जो जिला परिषद क्षेत्र की कुल आबादी में पिछड़ा वर्ग (बी) की आबादी के आधे प्रतिशत के रूप में होगी।
पालिकाओं में अनुशंसित आरक्षण
प्रत्येक नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका में पार्षद का पद पिछड़े वर्गों के नागरिकों के ब्लॉक-बी के लिए कुल सीटों के उसी अनुपात में आरक्षित किए जाएंगे जो उस शहरी स्थानीय क्षेत्र की कुल आबादी में पिछड़ा वर्ग (बी) की आबादी की जनसंख्या के आधे प्रतिशत के रूप में होगी। यदि डेसिमल वैल्यू 0.5 या अधिक है तो इसे अगले उच्च पूर्णांक में पूर्णांकित किया जाएगा।
नई एकीकृत लाइसेंसिंग नीति मंजूर
मंत्रिमंडल की बैठक में नई एकीकृत लाइसेंसिंग नीति (एनआईएलपी)-2022 के खंड 2.1 और 2.2 में संशोधन को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत सामान्य आवासीय प्लॉटेड लाइसेंस प्राप्त कॉलोनियों के समान आवासीय प्लॉटेड घटक के तहत क्रय योग्य विकास अधिकार (पीडीआर) की अनुमति दी गई है।
एनआईएलपी कॉलोनियों और सामान्य आवासीय प्लॉटेड कॉलोनियों के बीच समानता लाने के उद्देश्य से किए गए संशोधनों के तहत अब क्रय योग्य विकास अधिकार (पीडीआर) के माध्यम से अतिरिक्त फ्लोर एरिया अनुपात (एफएआर) के आवंटन की अनुमति दी जाएगी। नए प्रावधानों के तहत पहले दिए गए अतिरिक्त 0.25 एफएआर को हरियाणा बिल्डिंग कोड-2017 के अनुसार आवासीय प्लॉट पर आगे क्रय योग्य एफएआर द्वारा पूरक किया जाएगा।
संशोधन के अनुसार कॉलोनाइजर को एफएआर के मापदंडों के भीतर समूह आवास, भूखंड, पंक्ति आवास आदि जैसे उपयोगों के लिए आवासीय घटक आवंटित करने की स्वतंत्रता होगी। संशोधन यह सुनिश्चित करते हैं कि एनआईएलपी कॉलोनियों में डेवलपर्स अब अन्य आवासीय प्लॉटेड कॉलोनियों के समान लाभ उठा सकते हैं, जिससे संतुलित शहरी विकास को बढ़ावा मिलेगा।
वाहन स्क्रैपेज और रीसाइक्लिंग सुविधा प्रोत्साहन नीति 2024 को मंजूरी दी
बैठक में हरियाणा पंजीकृत वाहन स्क्रैपेज एवं रीसाइक्लिंग सुविधा प्रोत्साहन नीति 2024 को स्वीकृति प्रदान की गई। ऑटोमोटिव उद्योग में गैर-नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को न्यूनतम करने पर बढ़ते जोर को ध्यान में रखते हुए, नई नीति का उद्देश्य इस क्षेत्र की चक्रीयता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाना है।
यह नीति केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मोटर वाहन (पंजीकरण और वाहन स्क्रैपिंग सुविधा के कार्य) नियम, 2021 के अनुरूप है। जिसका उद्देश्य पुराने और अनुपयुक्त वाहनों को व्यवस्थित रूप से हटाना है, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी और स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा मिलेगा।
नीति की मुख्य विशेषताओं में अत्याधुनिक रीसाइक्लिंग सुविधाओं को बढ़ावा देना और नीति अवधि के दौरान 85% की पुनर्चक्रणीयता स्तर प्राप्त करना शामिल है। यह हरियाणा को रीसाइक्लिंग हब के रूप में स्थापित करने के लिए इको-पार्क/रीसाइक्लिंग पार्क विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है, और पंजीकृत वाहन स्क्रैपेज और रीसाइक्लिंग ऑटो क्लस्टर विकास और प्रबंधन प्रणाली (सीडीईएमएस) की स्थापना को प्रोत्साहित करता है।
नीति में कारोबार की लागत कम करने और वाहन स्क्रैपेज रीसाइक्लिंग सुविधाओं में निवेश को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहन दिए गए हैं। इन सुविधाओं को औद्योगिक इकाइयों का दर्जा दिया जाएगा, जिससे निवेश पूंजी सब्सिडी और अन्य सहायक उपायों पर प्रोत्साहन का लाभ मिलेगा।
इसके अलावा, रीसाइक्लिंग क्षेत्र के लिए कुशल कार्यबल सुनिश्चित करने के लिए, नीति कौशल संस्थानों और विश्वविद्यालयों के सहयोग से उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) की स्थापना को प्रोत्साहित करती है। ये केंद्र हरियाणा के युवाओं को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करेंगे, जिससे इस क्षेत्र में उनकी रोजगार क्षमता बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना में संशोधन को मंजूरी दी
बैठक में ‘मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना’ (एमएमएसएवाई) की नीति में महत्वपूर्ण संशोधनों को मंजूरी दी गई। इस संशोधन का उद्देश्य परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) द्वारा सत्यापित 1.80 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले शहरी परिवारों की आवास आवश्यकताओं को पूरा करना है।
संशोधित नीति के तहत, जिन लाभार्थियों को 1 मरला (30 वर्ग गज) के भूखंड आवंटित किए गए हैं, उन्हें अब भुगतान करने के लिए विस्तारित समय सीमा मिलेगी। संशोधन के बाद अब 10,000 रुपये की दूसरी किस्त अलॉटमेंट लैटर जारी होने के दो महीने के भीतर भुगतान की जा सकेगी, जबकि शेष 80,000 रुपये की राशि का भुगतान आशय पत्र (एलओआई) जारी होने की तिथि से तीन वर्षों में मासिक किस्तों में किया जा सकता है। पूर्व में आवेदकों को एक माह में ही 10,000 रुपये की क़िस्त देनी पड़ती थी और बाकी की राशि 6 माह में 6 किस्तों में देनी होती थी।
इसके अलावा, इस नीति में अब लाभार्थी की मृत्यु की स्थिति में रिफंड और आवंटन के हस्तांतरण के प्रावधान शामिल किये गए हैं। लाभार्थी कब्जे से पहले बिना किसी पेनल्टी के मूल राशि की वापसी का अनुरोध कर सकते हैं। लाभार्थी की मृत्यु की स्थिति में, मृत्यु प्रमाण पत्र और अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो) प्रस्तुत करने पर आवंटन उनके कानूनी उत्तराधिकारी को हस्तांतरित किया जा सकता है।
यह ध्यान देने योग्य बात है कि विभाग ने मात्र एक लाख रुपये की कीमत में 15,250 लाभार्थियों को 1-1 मरला के प्लॉट आवंटित भी कर दिए हैं। राज्य सरकार ने घुमंतू जाति, विधवा, अनुसूचित जाति और अन्य श्रेणियों के लाभार्थियों को 14 स्थानों अर्थात चरखी-दादरी, फतेहाबाद, झज्जर, करनाल, पंचकूला, महेंद्रगढ़, सिरसा, सोनीपत, पलवल, रोहतक, रेवाड़ी, जुलाना, सफीदों, यमुनानगर में पात्र व्यक्तियों को प्रोविजनल अलॉटमेंट लैटर आवंटित कर दिए हैं।
आज की कैबिनेट में किया गया संशोधन मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना (एमएमएसएवाई) के लाभार्थियों को अधिक वित्तीय लचीलापन और सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया गया है , जो समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के जीवन स्तर में सुधार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
इधर, मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना-विस्तार (एमएमजीएवाई-ई) को मंजूरी दी गई। यह महत्वाकांक्षी योजना मूल मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना का विस्तार है और इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) विशेष रूप से भूमिहीन परिवारों को महाग्राम पंचायतों में 50 वर्ग गज और सामान्य पंचायतों में 100 वर्ग गज के आवासीय भूखंड उपलब्ध कराना है।
सबके लिए आवास विभाग (डीएचएफए) आवेदक की पात्रता की पुष्टि करेगा और केवल 1,000 रुपये की एकमुश्त लागत के भुगतान पर भूखंड आवंटित किया जाएगा।
भूखंड आवंटन के बाद, अधिकार पत्र के रूप में कब्जा जारी किया जाएगा। आवंटन पत्र यानी अधिकार पत्र जारी होने के 2 साल के भीतर विकसित भूखंड का भौतिक कब्जा। 2 साल के भीतर भौतिक कब्जा न मिलने पर लाभार्थी को मुआवजा दिया जाएगा। इस योजना के तहत सरकार ग्राम पंचायतों को कृषि भूमि के वास्तविक कलेक्टर रेट के हिसाब से भूमि की कीमत उपलब्ध कराएगी।
हरियाणा अनिवार्य विवाह पंजीकरण नियमों में संशोधन को मंजूरी
बैठक में नागरिकों के लिए विवाह पंजीकरण को सरल बनाने के उद्देश्य से हरियाणा अनिवार्य विवाह पंजीकरण नियम, 2008 में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई। इधर, हरियाणा परिवार पहचान प्राधिकरण (ग्रुप ए और बी) सेवा नियम 2024 और हरियाणा परिवार पहचान प्राधिकरण (ग्रुप सी) सेवा नियम 2024 को मंजूरी दे दी है।
ये सेवा नियम हरियाणा परिवार पहचान प्राधिकरण (एचपीपीए) में नियुक्त कर्मियों की भर्ती और सेवा शर्तों को विनियमित करने के लिए बनाए गए हैं।
अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही आबियाना प्रथा को किया खत्म
प्रदेश में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही आबियाना प्रथा को खत्म कर दिया है। साथ ही, आबियाना का पिछला बकाया लगभग 133.55 करोड़ रुपये को भी माफ किया गया है, जिससे राज्य भर के किसानों को बहुत बड़ा लाभ होगा।
मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार, 1 अप्रैल, 2024 से अब प्रदेश में किसानों से आबियाना नहीं लिया जाएगा। इससे किसानों को प्रति वर्ष 54 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी। इसका हरियाणा के 4,299 गांवों के किसानों को लाभ मिलेगा।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि 1 अप्रैल, 2024 के बाद किसानों को आबियाना जमा कराने के जो नोटिस चले गए हैं, वो नोटिस भी वापिस होंगे। इसके अतिरिक्त, यदि 1 अप्रैल, 2024 के बाद किसी किसान ने आबियाना जमा करवा दिया है तो वो राशि भी किसान को वापिस दी जाएगी।
14 शहीदों के आश्रितों को नौकरी की मंजूरी
बैठक में सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक कर्मियों के युद्ध में हताहत हुए 14 आश्रितों को अनुकंपा आधार पर नियुक्ति प्रदान करने को मंजूरी दी गई। ये नियुक्तियां नीति में छूट देकर दी गई हैं।
18 मामलों में से 2 व्यक्तियों को ग्रुप बी पदों पर नियुक्त किया गया है, जबकि 12 को ग्रुप सी पदों पर नियुक्त किया गया है।
हरियाणा अग्निवीर नीति 2024 को मंजूरी
हरियाणा अग्निवीर नीति, 2024 को मंजूरी दी गई, जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों में सेवा पूरी करने उपरांत अग्निवीरों को व्यापक रोजगार व उद्यमिता के अवसर प्रदान करना है।
हरियाणा अग्निवीर नीति, 2024 सरकारी नौकरियों में विशेष लाभ प्रदान करती है, जिसमें सिपाही, माइनिंग गार्ड, फॉरेस्ट गार्ड, जेल वार्डर और एसपीओ जैसे पदों के लिए सीधी भर्ती में अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत होरिजोंटल आरक्षण देना शामिल है। इन पदों के मामले में अग्निवीरों को लिखित परीक्षा से छूट दी जाएगी।
इसके अलावा, ग्रुप सी के सिविल पदों के लिए 5 प्रतिशत होरिजोंटल आरक्षण और अग्निवीरों की कौशल विशेषज्ञता से संबंधित ग्रुप बी के पदों के लिए 1 प्रतिशत होरिजोंटल आरक्षण दिया जाएगा। नीति में ग्रुप बी और ग्रुप सी के पदों के लिए निर्धारित आयु सीमा में तीन साल की में छूट भी शामिल है, जिसमें अग्निवीरों के पहले बैच के लिए यह छूट पांच वर्ष की होगी। अग्निवीरों को ग्रुप सी पदों के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा की आवश्यकता से छूट दी जाएगी। यदि उनके पास अपेक्षित कौशल प्रमाण पत्र है तो अग्निवीरों को लिखित एवं कौशल परीक्षा दोनों से छूट प्रदान की जाएगी।
नीति के तहत स्वरोजगार और उद्यमिता के लिए अग्निवीरों को रोजगार देने वाले उद्योगों को प्रति वर्ष 60,000 रुपये की सब्सिडी प्रदान की जाएगी बशर्ते कि उद्योगों द्वारा सब्सिडी राशि सहित अग्निवीर को प्रति माह 30,000 रुपये से अधिक वेतन दिया जाए। अग्निवीरों को बंदूक लाइसेंस के लिए प्राथमिकता मिलेगी बशर्ते वे शस्त्र अधिनियम में निर्धारित शर्तों को पूरा करते हों।
हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (HKRN) के माध्यम से नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा, अग्निवीर को स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए 5 लाख रुपये तक की मूल राशि के लिए तीन साल तक बिना ब्याज ऋण दिया जाएगा।
यहां यह उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2022-23 में हरियाणा से कुल 1,830 अग्निवीरों का चयन किया गया था और वर्ष 2023-24 में लगभग 2,215 की भर्ती की गई थी। चार साल की सेवा के बाद अग्निवीरों को भारतीय सेना के नियमित कैडर में भर्ती के लिए आवेदन करने का अवसर मिलेगा, जिसमें प्रत्येक बैच के 25 प्रतिशत अग्निवीरों को उनकी सेवा अवधि के दौरान किये गए प्रदर्शन व निर्धारित शर्तों के आधार पर यह अवसर प्रदान किया जाएगा। यह नीति वर्ष 2026-27 में लागू की जाएगी जब अग्निवीरों का पहला बैच रक्षा बलों से अपनी सेवा पूरी करेगा।
मिल्क प्लांट से जुड़ी स्कीम को मंजूरी
बैठक में दुग्ध प्लांटों को एक बड़ी राहत देते हुए सैस की डिफाल्ट राशि की अदायगी के लिए विवादों का समाधान स्कीम को मंजूरी प्रदान की।
यह स्कीम उन दुग्ध प्लांटों के लिए लागू होगी, जो 31 जुलाई 2024 तक दुग्ध सैस देने में डिफाल्ट थे।
हरियाणा मुर्राह भैंस एवं दुग्ध पशु प्रजाति अधिनियम 2001 के तहत डिफॉल्ट राशि पर 8 प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्याज देय था। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि 30 सितंबर 2024 से पहले डिफॉल्ट राशि का 50 प्रतिशत राशि का भुगतान करना होगा। शेष राशि अगले दो महीने में 30 नवंबर 2024 तक देनी होगी। इस निर्णय से 29 दुग्ध प्लांटों को लाभ होगा और यह दूध के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को प्रोत्साहित करेगा। पिछले दिनों मुख्यमंत्री से दुग्ध प्लांटों का एक प्रतिनिधि मंडल मिला था, जिन्होंने सैस राशि में राहत देने की मांग की थी। विवादों के समाधान स्कीम 9 सितंबर, 2001 से 9 जुलाई 2002 के बीच की अवधि के लिए दुग्ध सेस माफ़ करने या छूट देने के लिए होगी क्योंकि इस अवधि के दौरान दुग्ध सेस एकत्रित करने के लिए कोई नियम नहीं बनाये गए थे।