शासक होते हुए देवी स्वरुपा थी माता अहिल्याबाई - चौहानशासक होते हुए देवी स्वरुपा थी माता अहिल्याबाई - चौहान

असंध, 26 मई। महारानी अहिल्याबाई होलकर मध्यकालीन इतिहास की ऐसी भारतीय शासक हैं जिन्हें उनके बेहतरीन सामाजिक और धार्मिक कार्यों के कारण उनके जीवन काल में ही देवी के रूप में जाना-पहचाना जाने लगा था।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने आज यहां मातेश्वरी अहिल्याबाई होलकर जयंती समारोह में  मुख्य वक्ता के रूप में ग्राम वासियों को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।

भाजपा नेता ने कहा कि इतिहासकार मानते हैं की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर में शिवलिंग की स्थापना कर जितना बड़ा प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया था, उतना भव्य समारोह उसके 400 साल बाद अब जाकर अयोध्या में श्री रामलला के मंदिर में हुआ है।

चौहान ने कहा की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने केवल अपने राज्य में मंदिरों का पुनरुद्धार नहीं किया बल्कि अपनी रियासत के बाहर देश के अलग अलग हिस्सों में दिल खोलकर मंदिरों के पुनर्निर्माण, धर्मशाला बनवाने, अन्न क्षेत्र का संचालन करने और मंदिरों में समाज कल्याण के लिए विद्वानों की नियुक्ति पर पैसा खर्च किया। इसी कारण लोग उन्हें देवी अहिल्या के नाम से पुकारने लगे थे।

चौहान ने कहा कि  उपलाना के पाल समाज को अपने गांव के किसी एक मंदिर की  सेवा-संभाल का कार्य मातेश्वरी अहिल्याबाई होलकर के नाम पर अपने हाथ में लेना चाहिए।  डॉ चौहान ने नई पीढ़ी का आवाहन किया कि वे देवी अहिल्याबाई के जीवन के बारे में स्वाध्याय अवश्य करें।  इसी क्रम में भाजपा प्रवक्ता डॉ. चौहान ने आवाहन किया कि अगली बार के कार्यक्रम में गांव के सब वर्गों के लोगों को जोड़कर रानी अहिल्याबाई होल्कर को श्रद्धांजलि देनी चाहिए।  इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष योगेंद्र राणा ने भी कहा कि महापुरुष किसी एक  बिरादरी के न होकर सारे समाज की  विरासत होते हैं।
 कार्यक्रम के बाद डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने गांव की जर्जर हो चुकी पाल समाज चौपाल के भवन का  निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि जर्जर हो चुकी इस इमारत का पुनर्निर्माण होना ही चाहिए।

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