गेहूं खरीद का तुरंत भुगतान करे सरकार - सैलजागेहूं खरीद का तुरंत भुगतान करे सरकार - सैलजा

चंडीगढ़, 21 अप्रैल। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रभारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य कुमारी सैलजा ने कहा कि 48 से 72 घंटे के अंदर किसानों को गेहूं खरीद का भुगतान करने का भाजपा सरकार का वादा जुमला साबित हुआ है। मंडियों में बिक चुकी आधी से अधिक फसल का अभी तक भुगतान पेंडिंग है, जबकि इसकी बिक्री को 12-15 दिन तक हो चुके हैं। इसके साथ ही मंडियों से गेहूं का धीमा उठान आढ़तियों व किसानों के लिए समस्या बन गया है। खुले व बोरियों में रखे गेहूं पर पश्चिमी विक्षोभ के कारण फिर से खराब होने का भी खतरा मंडरा रहा है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि गेहूं खरीद शुरू होने से पहले ही भाजपाइयों ने बयानबाजी शुरू कर दी थी कि एमएसपी पर खरीदी जाने वाली फसल का भुगतान 48 से 72 घंटे के बीच करवा दिया जाएगा। अब यह वादा पूरी तरह से हवा-हवाई साबित हो गया है। समय पर पेमेंट न मिलने से किसान पशोपेश में हैं। फसल में तीन बार बारिश व ओलों से हुए नुकसान के बाद अब समय पर भुगतान न होने से उनका दर्द बढ़ गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब तक प्रदेश की मंडियों में 44 लाख टन से अधिक गेहूं की आवक हो चुकी है, जिसमें से 37 लाख टन की ही खरीद हो सकी है। उधर, मंडियों में पहुंची 8 लाख 84 हजार टन सरसों में 6 लाख 73 हजार टन सरसों की ही खरीद हो पाई है। फसल बेचने वाले आधे से अधिक किसानों के खाते में अभी तक एक रुपया भी नहीं पहुंचा है। जब भुगतान में देरी सरकार के स्तर पर हो रही है तो किसानों के खातों मे इसकी एवज में ब्याज का भुगतान भी प्रदेश सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।

कुमारी सैलजा ने कहा कि बारदाना खरीद व ट्रांसपोर्टर्स को जारी टेंडर में बड़े पैमाने पर घपला हुआ है। नीचे से ऊपर तक कमीशन की बंदरबांट होने की सूचनाएं मिल रही हैं। कमीशन के चक्कर में ही मंडियों में बारदाना देरी से पहुंच सका। यही हाल ट्रांसपोर्टर्स के मामले में हुआ। ऐसे लोगों को गेहूं-सरसों की ढुलाई का काम अलॉट कर दिया, जिनके पास अपने वाहन तक नहीं हैं। इसी वजह से मंडियों में हुई सरकारी खरीद के मुकाबले अभी तक सिर्फ 25 प्रतिशत सरसों-गेहूं का ही उठान हो पाया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फसल कटाई जोरों पर है, किसान की गेहूं को स्टोर करने की क्षमता नहीं है। वह खेत से गेहूं को सीधे मंडी लेकर पहुंच रहा है। इसके बावजूद एक दिन तक मंडियों में खरीद न करना भाजपा सरकार का सरासर किसान विरोधी कदम है। प्रदेश सरकार को अपनी व्यवस्था सुधारते हुए फसल का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करना चाहिए, साथ ही उठान के कार्य में तेजी लानी चाहिए।

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