करनाल, 15 अप्रैल। हिसार से बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला के द्वारा ब्राह्मणों पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर उपजे विवाद का अंततः पटाक्षेप हो गया है।
31 मार्च को हिसार से बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी ‘रणजीत सिंह चौटाला’ ने ब्राह्मणों को लेकर विवादित टिप्पणी की थी जिसको लेकर काफ़ी लंबे समय से ब्राह्मण समाज में रणजीत सिंह चौटाला के खिलाफ आक्रोश व्याप्त था।ब्राह्मण समाज ने रणजीत सिंह चौटाला को जल्द से जल्द माफ़ी मांगने का अल्टीमेटम दिया था।
ब्राह्मण समाज की नाराजगी को देखते हुए रणजीत सिंह चौटाला ने 2 अप्रैल को ब्राह्मण समाज से माफ़ी मांग ली। उस समय ब्राह्मण समाज के द्वारा उन्हें यह आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों को बुलाकर इस विषय पर विचार-विमर्श किया जाएगा व एक कमेटी गठित की जाएगी जो इस पर निर्णय लेगी।
अंततः 14 अप्रैल रविवार को हिसार के ‘ब्राह्मण धर्मशाला’ में हरियाणा ब्राह्मण खाप के प्रदेश अध्यक्ष अशोक शर्मा व ब्राह्मण कमेटी के सदस्यों की उपस्थिति में जिसमें हिसार विधानसभा से राजकुमार शर्मा, हांसी विधानसभा से अनिल थुराना, नानौर विधानसभा से सुभाष शास्त्री, उकलाना विधानसभा से मुरलीधर, उचाणा विधानसभा से रामचंद्र अत्रि, आदमपुर विधानसभा से मांगेराम, बरवाला विधानसभा से जगदीश शास्त्री, भवानीखेड़ा विधानसभा से भागमल शास्त्री, नलवा विधानसभा से अरुण कुमार शर्मा उपस्थित थे।
ब्राह्मण समाज के इन प्रतिनिधियों की मौजूदगी में हरियाणा ब्राह्मण खाप के प्रदेश अध्यक्ष अशोक शर्मा ने प्रेसवार्ता की जिसमें रणजीत सिंह चौटाला भी उपस्थित थे।
इस दौरान हरियाणा ब्राह्मण खाप के प्रदेश अध्यक्ष अशोक शर्मा ने कहा कि “ब्राह्मण समाज व कमेटी के सदस्यों के द्वारा रणजीत सिंह चौटाला की माफ़ी को स्वीकार कर लिया है व अपना विशाल हृदय दिखाते हुए उन्हें माफ़ कर दिया है।”
इस दौरान बीजेपी प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला ने कहा “मैं ब्राह्मणों का सम्मान करता हूँ। मुझसे जो गलती हुई है उसकी मैं क्षमा मांगता हूं ।आगे से इस तरह का कोई विवाद नही होगा।”
इस दौरान मीडिया के द्वारा पूछें गए एक प्रश्न कि ‘क्या ब्राह्मण समाज रणजीत सिंह चौटाला को राजनीतिक समर्थन देगा।’
इस पर हरियाणा ब्राह्मण खाप के प्रदेश अध्यक्ष अशोक शर्मा ने कहा कि ‘हमने रणजीत सिंह को उनकी टिप्पणी के लिए माफ़ किया है इसमें राजनीतिक समर्थन का कोई लेना देना नही है। क्योंकि किसी को राजनीतिक समर्थन देना या न देना प्रत्येक व्यक्ति का निजी मामला है लोकतंत्र में सभी को वह अधिकार है कि वे अपनी मर्जी से किसी को राजनीतिक समर्थन दे। अतः इस विवाद का राजनीतिक समर्थन से कोई लेना-देना नही है। आगे का कोई भी निर्णय ब्राह्मण समाज लेगा।’