जनवरी व फरवरी में अपराधियों के 5298 फिंगर प्रिंट नेफिस सिस्टम से किए मैच

चंडीगढ़ 8 अप्रैल – इस दुनिया में हर इंसान के फिंगर प्रिंट्स अलग पाए जाते है। हर इंसान के हाथों की रेखाएं उसे अलग बनाती है।फिंगर प्रिंट्स से पुलिस को भी कई केस सुलझाने में सहायता मिलती है। वैसे तो फिंगर प्रिंट्स का उपयोग पुलिस द्वारा शुरू से ही अपराधियों की धरपकड़ के लिए किया जाता रहा है, लेकिन बदलते समय के साथ नेफिस सिस्टम की सहायता से अज्ञात शवों की पहचान करने का कार्य भी किया जा रहा है। प्रदेश पुलिस में अज्ञात शवों के फिंगर प्रिंट मिलान और पहचान ढूंढने की ज़िम्मेदारी स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, हरियाणा पर है।

पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि हाल ही में प्रदेश पुलिस की स्टेट क्राइम ब्रांच ब्यूरो (एससीआरबी) की टीम ने 2 शवों की पहचान उजागर की है। जिसमें एक शव पंजाब के रहने वाले गग्गी का था वहीं दूसरे शव की पहचान रोहतक के रहने वाले रामकिशन के रूप में हुई है। दोनों ही व्यक्तियों पर अलग अलग धाराओं में मामले दर्ज पाए गए है। विदित है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (नेफिस) को विकसित किया गया है। नेफिस अपराधियों का एक विशिष्ट पहचान कोड बनाता है। प्रत्येक अपराधी का एक अलग यूनिक कोड होगा। कोड स्कैन करने के बाद डेटा को पूरी जानकारी के साथ राष्ट्रीय सर्वर पर अपलोड किया जाता है। नेफिस सिस्टम में हर उस आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति का डेटा उपलब्ध है जो किसी न किसी अपराध में या तो गिरफ्तार हुए है या फिर मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि इस वर्ष, मात्र 2 माह में ही प्रदेश पुलिस ने 16470 गिरफ्तार/अपराधियोंअज्ञात शवों के फिंगर प्रिंट स्लिप का डेटा हरियाणा एनरोलमेंट यूजर द्वारा अपडेट किया गया। वहीं 5298 फिंगर प्रिंट का सफलतापूर्वक मिलान अपराधियों से किया गया। इसके अलावा प्रथम दो माह में अपराध वाले घटनास्थल से फिंगर प्रिंट टीम द्वारा 90 चांस प्रिंट उठाये गए। वहीं पिछले वर्ष 88000 से अधिक फिंगर प्रिंट स्लिप्स को नेफिस सिस्टम पर अपलोड किया गया जिसके कारण आपराधिक प्रवृति के लोगों के फिंगर प्रिंट का मिलान आसानी से किया जा सके। पिछले वर्ष भी 25 से अधिक मौका ए वारदात से उठाए गए फिंगर प्रिंट का मिलान सफलतापूर्वक किया गया। प्रदेश पुलिस के महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने बताया कि प्रदेश पुलिस के फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट मौका ए वारदात से स्लिप के मिलते ही नेफिस सिस्टम पर सर्च करते है ताकि फिंगर प्रिंट के आधार पर अपराध की तह तक जाया जा सके। 2 अज्ञात शवों की पहचान भी पंचकूला स्थित स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट द्वारा तुरंत की गई और जिला पुलिस को सूचित किया गया।

पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश पुलिस को फिंगर प्रिंट मिलान के लिए ट्रेनिंग करने की ज़िम्मेदारी स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो पंचकूला पर है। वर्तमान में एससीआरबी, पंचकूला निदेशक की ज़िम्मेदारी एडीजीपी ओ पी सिंह , आईपीएस पर है।  प्रथम तीन माह में कुल 3 बैच का आयोजन किया गया और 50 पुलिस कर्मचारियों को बेसिक फिंगर प्रिंट प्रोफिसिएंट कोर्स में दक्ष किया गया है।इसी दौरान अनुसंधान अधिकारियों को नेफिस सिस्टम के संचालन के लिए व चांस प्रिंट और अरेस्ट करने के दौरान की जाने वाली कार्रवाई के लिए 12 कोर्स आयोजित किए गए और 52 से अधिक अनुसंधान अधिकारियों को ट्रेन किया गया।

 नेफिस सिस्टम में पुरे देश के गिरफ्तार, सज़ायाफ्ता अपराधियों और लावारिस डेड बॉडीज और मौकाए वारदात से उठाए गए फिंगर प्रिंट डेटाबेस उपलब्ध है, जिससे मैच करने से अज्ञात शवों की पहचान करने में आसानी हो जाती है। आगे जानकारी देते हुए बताया कि एससीआरबी में ना कि सिर्फ फिंगर प्रिंट को जांचा जाता है बल्कि महत्वपूर्ण कागज़ातों की जांच भी की जाती है। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो विभिन्न संगीन मुकदमों में सभी कागज़ातों का परीक्षण कर उनकी रिपोर्ट बनाकर जिला पुलिस को आगामी कार्रवाई के लिए सौंपती है।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, ओ पी सिंह, आईपीएस, जो की वर्तमान में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक के तौर पर ज़िम्मेदारी संभाल रहे है, बताया कि नेफिस वर्ष 2022 में लांच हुआ था,जिस पर प्रदेश भर में वर्तमान में 69 वर्कस्टेशन स्थापित किए गए है। प्रशिक्षित पुलिस अधिकारी ज़िम्मेदारी संभाल रहे है। सभी नियुक्त अधिकारीयों को एससीआरबी द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि डेटा समन्वय करने में समस्या ना आये । वर्तमान में हरियाणा प्रदेश का तक़रीबन 5 लाख से अधिक फिंगर प्रिंट का डेटा नेफिस सिस्टम पर अपलोड किया गया। इस डेटा की सहायता से ना सिर्फ संगीन अपराधियों की पहचान होती है, बल्कि अज्ञात शवों की पहचान भी हो जाती है। नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम यानी नेफिस (National Automated fingerprint Identification System) यानी कि नेफिस एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसके जरिए पुलिस अब किसी भी शख्स की पहचान उसके बैकग्राउंड के आधार पर आसानी से कर सकती है।

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