चंडीगढ़, 25 फरवरी। पंजाब पुलिस की साइबर क्राइम डिवीजन ने राज्य में साइबर वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए पुलिस और बैंक अधिकारियों के बीच तालमेल बढ़ाने के लिए 1930 साइबर हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों के निपटारे के लिए बैंकों को अलग नोडल ऑफिसर नियुक्त करने को कहा है।
साइबर क्राइम डिवीजन का मानना है कि यह कदम इसलिए उठाया जाना जरूरी है ताकि बैंक खातों को पहल के आधार पर ब्लॉक करना और संदिग्ध बैंक खातों के विवरण समय पर मुहैया करवाना सुनिश्चित बनाया जा सके।यह फैसला एडीजीपी (साइबर क्राइम) वी. नीरजा द्वारा सी.एफ.सी.एफ.आर.एम.एस. पोर्टल पर दर्ज शिकायत संबंधी बैंकों द्वारा जवाब देने के समय को घटाने के लिए अलग-अलग बैंकों के प्रतिनिधियों के साथ की गई बैठक के दौरान लिया गया। बैठक में विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
वी. नीरजा ने कहा कि साइबर हेल्पलाइन 1930 एक सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) है, जिसकी मदद से साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के पीड़ितों द्वारा इस हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज होने के तुरंत बाद आरोपियों/संदिग्ध व्यक्तियों के खातों में पीड़ितों द्वारा जमा करवाए गए पैसों को फ्रीज कर दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि मीटिंग के दौरान साइबर वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने के लिए दरपेश चुनौतियों और साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 के द्वारा दर्ज शिकायतों के निपटारे की प्रक्रिया को तेज करने संबंधी विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।उन्होंने कहा कि बैंकों को साइबर वित्तीय धोखाधड़ी संबंधी जागरूकता मुहिम चलाने की अपील की गई, जिससे लोगों को 1930 हेल्पलाइन नंबर पर ऐसी साइबर धोखाधड़ियों की रिपोर्ट करने संबंधी जागरूक किया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि बैंकों को 1930 हेल्पलाइन नंबर को बैंकों के अंदर और बाहर फ्लैक्स बोर्डों या पोस्टरों पर प्रदर्शित करने के साथ-साथ अपनी अधिकृत वेबसाइट पर दिखाने के लिए भी कहा गया है।
एडीजीपी ने कहा कि बैंकों को समयबद्ध ढंग से संदिग्ध बैंक खातों संबंधी यूपीआई/ इंटरनेट बैंकिंग लॉग, बैंक स्टेटमेंट, एटीएम फुटेज और केवाईसी दस्तावेज मुहैया करवा कर ऐसे मामलों की जांच के दौरान पंजाब पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि नकली खाते खोलने से रोकने के लिए बैंकों को नए बैंक खाते खोलने के समय घरों के पतों की व्यक्तिगत तौर पर जांच करने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं।