सूरजकुंड मेले में सेल्फ हेल्प ग्रुप्स बने स्वावलंबन की उम्दा मिसालसूरजकुंड मेले में सेल्फ हेल्प ग्रुप्स बने स्वावलंबन की उम्दा मिसाल

चंडीगढ़, 9 फरवरी। फरीदाबाद में चल रहे 37वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला में शिल्पकार अपनी कृतियों से पर्यटकों का मन मोह रहे हैं। वहीं मेला क्षेत्र में विभिन्न प्रदेशों के ‘स्वयं सहायता समूह’ भी स्वावलंबन की सफलता की कहानी कह रहे हैं।

शिल्प मेला परिसर में स्टॉल नंबर – 355 पर राजस्थान के ‘शिव शंकर स्वयं सहायता समूह’ द्वारा उत्तम किस्म के धनुष और बाण प्रदर्शित किए गए हैं। स्टॉल संचालक जितेंद्र ने बताया कि उनके समूह में 10 सदस्य हैं तथा उन्होंने लगभग 4 बार सरकारी योजनाओं के माध्यम से ऋण प्राप्त कर अपने व्यवसाय का विस्तार किया है। उनके पिता रतन लाल भी इस व्यवसाय से जुड़े थे। वहीं उनके दिवंगत बड़े भाई धनुष – बाण को खेल के क्षेत्र से जोड़कर अद्वितीय कार्य किया। समूह द्वारा धनुष के पांच डिजाइन तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी कीमत एक हज़ार से शुरू होकर 2550 रुपए तक है। खेल के क्षेत्र से जुड़े खिलाडियों के अलावा मेले में आए लोग भी धनुष – बाण को बड़े शौक से खरीद रहे हैं।

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राजस्थान के बीकानेर निवासी राज कवर ने महिलाओं को समृद्धि की राह दिखाई है। मेला परिसर के स्टॉल संख्या – 358 में राजस्थान के स्वयं सहायता समूह के नमकीन और अचार से संबंधित उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। राजस्थान के बीकानेर निवासी राज कवर ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए स्वयं सहायता समूह बनाकर इस समूह में महिलाओं को जोड़ा है। उनके गांव में ऐसे 10 समूह कार्य कर रहे हैं तथा उनके समूह में 25 महिलाएं शामिल हैं। उनका समूह ‘राजीविका’ राजस्थान ग्रामीण विकास परिषद बीकानेर से जुड़ा है। उन्होंने 2013 में सहायता समूह बनाकर कार्य शुरू किया। वे बीकानेरी भुजिया, मोटी भुजिया, लहसुन भुजिया, नवरत्न मिक्सचर, चना लहसुन पापड़, खट्टी – मीठी मिक्चर इत्यादि बनाती हैं।

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वही पर्यटक राजस्थान के अचार का स्वाद भी चख रहे हैं। इसी स्टाल में देव नारायण राजीविका स्वयं सहायता समूह द्वारा राजस्थान के प्रसिद्ध अचार प्रदर्शित किए गए हैं। इस समूह में 12 सदस्य हैं। यह समूह मिर्ची, मीठा नींबू, कैर आदि का अचार तैयार कर बिक्री कर रहा है। पर्यटक राजस्थान अचार के स्वाद को भी चख रहे हैं।

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