फतेहगढ़ साहिब, 27 दिसंबर। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान आज माता गुजरी जी और छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत को समर्पित शहीदी जोड़ मेल के दूसरे दिन गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब में नतमस्तक हुए।
पवित्र स्थान पर माथा टेकने के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मुकद्दस स्थान न केवल सिखों के लिए बल्कि समूची मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहा कि दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी ने छोटी उम्र में शहादत प्राप्त की। भगवंत सिंह मान ने कहा कि माता गुजरी जी और साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह और साहिबज़ादा फतेह सिंह जी की शहादत वाली यह पवित्र धरती सदियों से पंजाबियों को बेइन्साफी, ज़ुल्म और दमन के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए प्रेरित करती आ रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटे साहबजादे ने उस समय के सरहिन्द के मुगल शासक के मनमाने और ज़ुल्म के विरुद्ध खड़े होकर निर्भय और बहादुरी का बेमिसाल प्रगटावा किया था। उन्होंने कहा कि साहिबजादों को शूरवीरता और त्याग की भावना दशमेश पिता जी से ही विरासत में मिली है और गुरु साहिब जी ने मानवता की ख़ातिर हुकूमत के खिलाफ डट कर लड़ाई लड़ी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि आज दुनिया भर से संगत विश्व के इतिहास में बेमिसाल बलिदान देने वाले छोटे साहिबजादों को श्रद्धा और सत्कार भेंट करने के लिए फतेहगढ़ साहिब में पहुँच रही हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया के इतिहास में ऐसी कोई मिसाल नहीं मिलती जब छोटे साहिबजादों की उम्र में किसी अन्य ने अतुलनीय बलिदान दिया हो। उन्होंने कहा कि विश्व को साहिबजादों के बेमिसाल बलिदान पर गर्व है, जिस कारण यह न केवल पंजाबियों या देशवासियों के लिए बल्कि हरेक मानव के लिए गर्व की बात है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वह अपने आप को भाग्यवान समझते हैं कि उनको राज्य और लोगों की सेवा करने का सौभाग्य हासिल हुआ है और इस नेक कार्य के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राज्य सरकार समाज के हरेक वर्ग की भलाई के लिए महान गुरु साहिबान और शहीदों द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चल रही है।
मुख्यमंत्री ने याद करते हुए कहा कि उनके लोक सभा मेंबर होते हुए तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के ध्यान में मामला लाने के बाद सदन ने गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों को श्रद्धांजलि भेंट की थी। भगवंत सिंह ने कहा कि समूचा पंजाब इस महीने को ‘शोक के महीने’ के तौर पर मनाता है क्योंकि इन दिनों में ही ज़ालिम शासकों ने छोटे साहिबजादों को जीवित ही नीव में चिनवा दिया था। उन्होंने कहा कि नौजवान पीढ़ी को इस बेमिसाल बलिदान के बारे में जागरूक करने की ज़रूरत है, जिससे उनको देश की निस्वार्थ सेवा करने के लिए प्रेरित किया जा सके।