शिमला, 18 सितंबर। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय टास्क फोर्स की दो दिवसीय बैठक का शुभारम्भ किया।
इस बैठक में देशभर के क्षय रोग विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। हिमाचल प्रदेश दूसरी बार इस महत्त्वपूर्ण बैठक की मेजबानी कर रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ‘मेरी टीबी की कहानी चरण-2’ पहल का शुभारंभ किया। इस पहल का उद्देश्य टीबी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और इस बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना है। इस अभियान के दूसरे चरण का शुभारंभ करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है।
हिमाचल प्रदेश में क्षय रोग विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि बैठक के दौरान मूल्यवान जानकारी और सुझाव प्राप्त होंगे, जो इस खतरनाक बीमारी से निपटने में सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार टीबी उन्मूलन के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर रही है और राज्य में हर वर्ष लगभग 15,000 टीबी मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इस बीमारी से निपटने में किए गए प्रदेश के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि टीबी के मरीजों की सुविधा के लिए पिछले दो वर्षों में प्रारम्भिक स्तर पर ही टीबी का पता लगाने के लिए राज्य में मॉलीक्यूलर परीक्षण सुविधाएं शुरू की गई हैं और पांच जिलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें उपलब्ध करवाई गई हैं। शीघ्र ही इस सेवा का विस्तार शेष जिलों में भी किया जाएगा। इस बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए हिमाचल प्रदेश की अनुकूल जलवायु के महत्व के बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार हिमाचल के शुद्ध वातावरण को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए आधुनिक तकनीकें अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने नवीनतम चिकित्सा उपकरणों के लिए एम्स दिल्ली के साथ एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया है। टांडा चिकित्सा महाविद्यालय और आईजीएमसी, शिमला में स्वास्थ्य सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है तथा डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की कार्यप्रणाली में सुगमता लाने के लिए अस्पताल में अनुकूल वातावरण बनाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 2,700 पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है।
ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि 70 वर्ष से अधिक आयु के वृद्धजनों को विशेष स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता रहती है। इसके दृष्टिगत प्रदेश सरकार वृद्धजनों के लिए घर-द्वार के निकट चिकित्सा जांच सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए नई योजना शुरू करने पर विचार कर रही है। राज्य में कैंसर के मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन और नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों को बढ़ावा दिया जा रहा है और जिला सोलन के नालागढ़ में एक मेगावाट के हरित हाइड्रोजन संयंत्र की स्थापना की जा रही है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल ने कहा कि राष्ट्रीय टास्क फोर्स के प्रयासों के फलस्वरूप टीबी के बारे में सामाजिक दृष्टिकोण में काफी बदलाव आया है। उन्होंने जन जागरूकता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि राज्य में इस बीमारी को समूल मिटाने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में टीबी रोगियों को सरकार से 1,500 रुपये की वित्तीय सहायता मिलती है और लोगों को विशेष रूप से दुर्गम क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।
उन्होंने निराश्रित बच्चों के कल्याण, उनकी शिक्षा, देखभाल और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आरम्भ की गई मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार समाज के वंचित वर्ग के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी, एनएचएम मिशन निदेशक प्रियंका वर्मा, स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक डॉ. गोपाल बैरी, राष्ट्रीय टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. अशोक भारद्वाज, केंद्रीय टीबी प्रभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. संजय कुमार मट्टू और डीडीजी-टीबी डॉ. उर्वशी सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।