ट्रेड फेयर में हरियाणवी संस्कृति का दिख रहा क्रेज, महिलाएं ले रही सेल्फी
चंडीगढ़, 23 नवंबर- नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे अंतराष्ट्रीय व्यापार मेले के हरियाणा मंडप में प्रदेश की पुरातन संस्कृति की परिचायक झूमर, फूलझड़ी, बंदरवाल दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र बन रही हैं। सोनीपत के गाँव अटायल की रहने वाली कौशल्या देवी के स्टाॅल पर महिलाएं हरियाणवी पुरातन संस्कृति को देखने और उससे सम्बंधित जानकारी प्राप्त करती नज़र आ रही हैं। यहां दिनभर पंडाल में हरियाणा से बाहर रहने वाले उन लोगों की भीड़ रहती है जो हरियाणवी संस्कृति को करीब से कम देख पाए हैं।
कौशल्या देवी ने बताया कि उनकी पांचवीं पीढ़ी हरियाणवी धरोहर को बचाने के लिए कार्य कर रही है। पुरानी संस्कृति और विरासत से जुड़ी सभी वस्तुएं यहां मौजूद हैं और इन्हें बनाएं जाने की जानकारी वे अब सभी से साझा कर रही हैं। झूमर, फूलझड़ी वे वस्तुएं हैं जो नई – नवेली दुल्हन अपने ससुराल लेकर जाती है और एक रस्म के तहत उसे लगाने का ज़िम्मा दूल्हे के बड़े भाई (जेठ) का होता है। इसी तरह वर्षों पहले घर में किसी विवाह के दौरान स्वागत के लिए बंदरवाल लगाई जाती थी जो अब देखने को कम ही मिलती है। कौशल्या देवी ने बताया कि उनका परिवार हरियाणा की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सूरजकुण्ड हस्तशिल्प मेले में भी हर वर्ष शिरकत करता है।
हरियाणा मंडप में पुरातन धरोहर से जुड़े चित्रों और वस्तुओं के साथ लोग सेल्फी ले रहे हैं। सेल्फी लेने का क्रेज कौशल्या देवी की स्टॉल पर अधिक देखने को मिल रहा है। झूमर के सामने महिलाएं कौशल्या देवी के साथ फोटो लेती दिख रही हैं। कौशल्या देवी ने बताया कि दिनभर यहां महिलाएं झूमर व फूलझड़ी को बनाने की विधि को लेकर जानकारी हासिल कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पहले झूमर, फूलझड़ी और बंदरवाल रंगबिरंगे कागज से बनाएं जाते थे लेकिन अब कपड़े से बनाए जा रहे हैं ताकि लंबे समय तक सहेजे जा सकें।
वैसे तो व्यापार मेले में हरियाणा में बनाई जा रही कई वस्तुएं ना केवल 50 स्टालों में प्रदर्शित की गई हैं बल्कि उनकी बिक्री भी की जा रही है। मेले के हॉल नंबर 5 में प्रथम तल पर बनाए गए हरियाणा मंडप में आगंतुकों की भीड़ देखी जा सकती है। लोग हरियाणवी साजो सामान और पुरातन वस्तुओं में रुचि ले रहे हैं। सोनीपत ज़िला के गाँव फरमाना निवासी जयभगवान ने कहा कि प्रदेश सरकार ने संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। हरियाणा मंडप में भी आधुनिक वस्तुओं के साथ हरियाणवी संस्कृति की झलक से पुरातन हरियाणा की यादें ताजा हो रही हैं। गांव में बसे हरियाणा से जुड़ी कई परम्पराएं अब विलुप्त होने की कगार पर है, उन्हें बचाया जाना जरूरी है।