पंजाब सरकार ने बाल अधिकार सुरक्षा को लेकर जारी की महत्वपूर्ण शोध रिपोर्टपंजाब सरकार ने बाल अधिकार सुरक्षा को लेकर जारी की महत्वपूर्ण शोध रिपोर्ट

चंडीगढ़, 20 मई। पंजाब सरकार बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल न्याय को मजबूत करने की दिशा में लगातार काम कर रही है। इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सामाजिक सुरक्षा, स्त्री और बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने “बाल अपराध और संस्थागत ढांचा: पंजाब में बाल न्याय (बच्चों की देखभाल और सुरक्षा) अधिनियम, 2015 के तहत बहाली विधियों का मूल्यांकन” शीर्षक के तहत एक व्यापक शोध रिपोर्ट जारी की।

इस कार्यक्रम में सामाजिक सुरक्षा, स्त्री और बाल विकास विभाग के विशेष मुख्य सचिव राजी पी. श्रीवास्तव, पंजाब राज्य बाल अधिकार सुरक्षा कमीशन के चेयरपर्सन श्री कंवरदीप सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के वाइस चांसलर प्रो. करमजीत सिंह, सामाजिक सुरक्षा, स्त्री और बाल विकास विभाग के डायरेक्टर डॉ. शेना अग्रवाल, पंजाब राज्य बाल अधिकार सुरक्षा कमीशन के सचिव श्रीमती विम्मी भुल्लर, और संयुक्त डायरेक्टर स. राजविंदर सिंह गिल विशेष रूप से उपस्थित थे।

कैबिनेट मंत्री ने बताया कि यह शोध प्रोजेक्ट पंजाब राज्य बाल अधिकार सुरक्षा कमीशन द्वारा पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला को सौंपा गया था। जिसका उद्देश्य बाल न्याय अधिनियम के तहत पुनर्स्थापन विधियों और संस्थागत प्रतिक्रियाओं का राज्यव्यापी मूल्यांकन करना था।

मंत्री ने आगे बताया कि यह रिपोर्ट, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गौतम सूद द्वारा लिखी गई जिसमें जेंडर माहिर डॉ. प्रेरणा सिंह और शोध सहायक श्रीमती जसमीन कौर का योगदान शामिल है, एक गहराई से किए गए, राज-व्यापी अध्ययन का परिणाम है जो कानून के टकराव वाले बच्चों के लिए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत उपलब्ध संस्थागत ढांचों और बहाली विधियों का गहराई से मूल्यांकन करती है।

इस मौके पर बोलते हुए डॉ. बलजीत कौर ने पंजाब सरकार की बाल सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की और रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशों पर राज्य सरकार के दृढ़ इरादे को दोहराया।

मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने अपने संबोधन में कहा कि, “यह अध्ययन हमारी किशोर न्याय प्रणाली के अंदरूनी अंतराल और संभावनाओं पर बहुत जरूरी ध्यान केंद्रित करता है। यह शोध पंजाब में किशोर अपराध के प्रति पुनर्वास और बहाली प्रतिक्रियाओं को बढ़ाने में हमारी अगुवाई करेंगे।”
अध्ययन के मुख्य बिंदु प्रस्तुत करते हुए, डॉ. गौतम सूद ने क्षमता निर्माण, सेवाओं के अभिसरण और हितधारकों की संवेदनशीलता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “यह मूल्यांकन संस्थागत तालमेल, समुदाय-आधारित हस्तक्षेप और कानून के टकराव वाले बच्चों को सचमुच सुधारने में बहाली न्याय के मूल्य की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।”

चेयरपर्सन श्री कंवरदीप सिंह ने शोध टीम के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट बच्चों के अधिकारों को न्याय प्रणाली से और गहराई से जोड़ने की आवश्यकता को उजागर करती है। उन्होंने बताया कि हर बच्चे, भले ही वह किसी न्यायिक कार्यवाही में हो, उसके अधिकारों की पूरी रक्षा होनी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *