चंडीगढ़, 1 अक्टूबर। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का सपना है कि राज्य के हर खेत तक पानी की पहुंच सुनिश्चित की जाए और इसमें जल संसाधन विभाग की भूमिका महत्वपूर्ण है।
जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने विभागीय अधिकारियों से पहली बैठक में कहा कि नई नीतियों का प्रारूप तैयार करने में जनकल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
उन्होंने जोर दिया कि भूजल संरक्षण समय की आवश्यकता है और नहरी पानी के अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित किया जाए। मंत्री ने बताया कि पिछले 2 वर्षों में 4,200 किलोमीटर लंबाई के कुल 15,914 वाटर चैनलों को पुनर्स्थापित किया गया है।
विभाग के प्रमुख सचिव कृष्ण कुमार ने बताया कि राज्य के 94 गांवों में पहली बार पानी पहुंचा है, और 49 गांवों में 35-40 साल के अंतराल के बाद पानी पहुंचा है। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि नहर में टूट-फूट के कारण किसानों को कोई समस्या न हो, लगभग 414 किलोमीटर लंबाई की बंद पड़ी नहरों को पुनर्स्थापित किया गया है और पानी छोड़ने के लिए 100 नए निकास स्रोत बनाए जा रहे हैं।
मंत्री ने अधिकारियों को बांधों की मजबूती सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव ने जानकारी दी कि मनरेगा के तहत 2023-24 में नहरों और वाटर कोर्सों की मरम्मत का काम 228 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि 3 नहरें – मालवा, दशमेश और मलेरकोटला प्रस्तावित/निर्माणाधीन हैं और पहली बार नदियों, ड्रेन, चोए और छोटी नदियों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसका उद्देश्य अवैध कब्जों की पहचान कर उन्हें हटाना है। इसके अलावा, 1,536 करोड़ रुपये की लागत से दो नई लिफ्ट सिंचाई योजनाएं लागू की गई हैं।
इसके साथ ही प्रक्रिया को सरल बनाने, मुकदमेबाजी को कम करने और परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए 1873 के अधिनियम के स्थान पर एक नया नहर अधिनियम तैयार किया जा रहा है। प्रमुख सचिव ने बताया कि किसानों के लिए जल संसाधन विभाग से जुड़े मामलों में ऑनलाइन आवेदन की सुविधा देने के उद्देश्य से “ई-सिंचाई” नामक ऐप भी लॉन्च की गई है।
विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए, मंत्री ने परियोजनाओं को लागू करने में पारदर्शिता पर जोर दिया और कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।