77 बाल भिखारियों का पुनर्वास किया - मंत्री77 बाल भिखारियों का पुनर्वास किया - मंत्री

चंडीगढ़, 24 जुलाई। सामाजिक सुरक्षा, स्त्री और बाल विकास विभाग द्वारा बाल भिक्षा मुक्त अभियान के अंतर्गत 77 बाल भिखारियों का पुनर्वास किया। यह बात सामाजिक सुरक्षा, स्त्री और बाल विकास मंत्री डा. बलजीत कौर ने आज यहाँ कही।

इस संबंधी जानकारी देते हुए कैबिनेट मंत्री ने बताया कि बाल भिक्षा में शामिल बच्चों के बचपन को सुरक्षित करने के लिए विभाग द्वारा राज्य में अभियान चलाया जा रहा है जिसके अधीन बाल भिक्षा में शामिल बच्चों को बचाया गया और उनके पुनर्वास के लिए प्रयास किए गए है।

राज्य में बाल भिक्षा को ख़त्म करने के लिए यह अभियान महीने के हर दूसरे हफ्ते लगातार चलाया जाएगा। इस अभियान दौरान राज्य में अलग- अलग जिलों में अब तक कुल 77 बच्चे बचाए गए है जिनमें से 20 बच्चों का कोई सहारा न होने के कारण राज्य में चलाए जा रहे बाल घरों में भेजा गया है। इन बाल गृहों में बच्चों को पढ़ाई, खाना, सेहत सुविधाएं आदि दी जाएंगी। बाकी बच्चों को बाल कल्याण समिति के द्वारा उनके माँ-बाप को सुपुर्द कर दिया गया है। इनमें से 8 बच्चों को स्पांसरशिप योजना का लाभ, 13 बच्चों को स्कूल में दाख़िला करवाने के लिए कार्यवाही की जा रही है और एक बच्चे को आंगनवाड़ी में दाख़िल करवाया गया है।

डा. बलजीत कौर ने आगे बताया कि पंजाब सरकार द्वारा जुवेनाईल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन एक्ट 2015 अधीन राज्य में 07 सरकारी चिल्ड्रेन होम और 39 ग़ैर सरकारी होम रजिस्टर्ड किए हुए है जिनमें अनाथ, बेसाहारा और सपुरध किये बच्चों को रखने का उपबंध है।

उन्होंने लोगों से अपील की कि बच्चों की सुरक्षा संबंधी सूचना अपने जिले की ज़िला बाल सुरक्षा यूनिट या बाल कल्याण समिति में दे।

कैबिनेट मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार मिशन वात्सल्या स्कीम अधीन बेसहारा और जरूरतमंद बच्चो की सुरक्षा के लिए वचनबद्ध है जिससे बच्चे को राज्य में किसी भी तरह की कोई मुश्किल का सामना न करना पड़े। योजना संबंधी सूचना विभाग की वैबसाईट sswcd@punjab.gov.in पर उपलब्ध है।

उन्होंने बताया कि सामाजिक सुरक्षा, स्त्री और बाल विकास विभाग द्वारा बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बहुपक्षीय प्रयास किए जा रहे हैं। बच्चों की सुरक्षा और भलाई के लिए विभाग द्वारा से मिशन वात्सल्या योजना ( बाल सुरक्षा योजना) चलाई जा रही है जिसका मुख्य उदेश्य बच्चों की सही देखभाल, सुरक्षा, विकास, इलाज और समाज में पुनर्वास करना है।

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