तरनतारन सेवा केंद्र से चल रहे फर्जी हथियार लाइसेंस रैकेट का भंडाफोड़तरनतारन सेवा केंद्र से चल रहे फर्जी हथियार लाइसेंस रैकेट का भंडाफोड़

अमृतसर, 10 जुलाई। पंजाब में संगठित अपराध को खत्म करने के अभियान के दौरान अमृतसर कमिश्नरेट पुलिस ने फर्जी हथियार लाइसेंस बनाने वाले गिरोह के दो सदस्यों और छह फर्जी हथियार लाइसेंस धारकों को गिरफ्तार कर इस रैकेट का भंडाफोड़ करने में सफलता हासिल की है।

यह जानकारी आज यहां पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने दी।
उन्होंने खुलासा किया कि उक्त रैकेट तरनतारन सेवा केंद्र के जिला मैनेजर सूरज भंडारी, जो फरार है की, मिलीभगत से चलाया जा रहा था।

यादव ने कहा कि गिरफ्तार गिरोह के सदस्यों में तरनतारन सेवा केंद्र का कर्मचारी हरपाल सिंह और एक फोटो स्टेट दुकान का मालिक बलजीत सिंह जिसने फर्जी हथियार लाइसेंस बनाने के लिए आधार कार्ड और हथियार लाइसेंस प्रोफार्मा सहित आवश्यक पहचान दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने की बात स्वीकार की है, शामिल है। पुलिस टीमों ने लैपटॉप भी बरामद किया है, जिसमें अलग-अलग संपादित दस्तावेजों के विवरण व दस्तावेजों में हेरफेर करने के लिए उपयोग किए जाने वाले ऑनलाइन ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर भी शामिल हैं।

इस रैकेट का भंडाफोड़ 9 अप्रैल को इरादा कत्ल मामले में गिरफ्तार किए अन्नगढ़ के बबलू उर्फ बल्लू जिसने पूछताछ के दौरान सह-आरोपी कंवरदीप सिंह के साथ नकली लाइसेंसी आग्नेयास्त्र रखने की बात कबूल की थी, से मिली जानकारी के बाद हुआ।

डीजीपी ने बताया कि आरोपी बल्लू के खुलासे के बाद एडीसीपी जोन-1 डाॅ.  दर्पण अहलूवालिया और एसीपी सेंट्रल सुरिंदर सिंह की देखरेख में थाना गेट हकीमा से टीमों ने जांच शुरू की और पाया कि हथियार लाइसेंस डिप्टी कमिश्नर कार्यालय तरनतारन से का सत्यापन किया गया था लेकिन, आधिकारिक रिकॉर्ड में इस संबंध में कोई जानकारी नहीं थी।उन्होंने कहा कि तरनतारन के लोगों के अलावा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अमृतसर के निवासी भी फर्जी आधार कार्ड के आधार पर तरनतारन से फर्जी लाइसेंस बना रहे थे।

यादव ने गन हाउस की मिलीभगत से इनकार न करते हुए कहा कि पुलिस टीमें ऐसे गन हाउसों की भूमिका की जांच कर रही हैं, जिन्होंने फर्जी लाइसेंस होने की जानकारी होने के बावजूद ऑनलाइन सत्यापन के बिना हथियार बेचे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आगे की जांच जारी है। 
पुलिस कमिश्नर (सीपी) अमृतसर रणजीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि 11 जून को एक एफआईआर दर्ज की गई थी और पांच और फर्जी हथियार लाइसेंस धारकों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें अभय निवासी सुल्तानविंड को फर्जी तौर पर जंडियाला रोड, तरनतारन का निवासी दिखाया गया है। इसी तरह अमृतसर के मनप्रीत को तरनतारन का निवासी दिखाया गया है, अमृतसर के कंवरदीप को रेलवे रोड, तरनतारन का निवासी दिखाया गया है और अमृतसर के रोहित को तरनतारन के गांव कंग का निवासी दिखाया गया है, को 12 जून 2024 को गिरफ्तार किया गया था, जबकि सदर तरनतारन के रहने वाले हरिंदर को 2 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था।

उन्होंने बताया कि पुलिस टीमों ने उनके कब्जे से 6 फर्जी हथियार लाइसेंस, फर्जी आधार कार्ड और .32 बोर की 4 पिस्टल, .32 बोर की 2 रिवाल्वर और 1 डबल बैरल राइफल सहित 7 हथियार भी बरामद किए हैं।

सीपी ने बताया कि गिरोह का सरगना सूरज भंडारी असलहा लाइसेंस बनाने के लिए प्रति ग्राहक 1.5 लाख रुपए की फीस ले रहा था, जिसमें से 5-10 हजार रुपए का कमीशन आरोपी फोटो स्टेट दुकान मालिक बलजीत को दिया जाता था जबकि सर्विस केंद्र के कर्मचारी हरपाल को 10-20 हजार रुपए मिल रहे थे। उन्होंने कहा कि वे क्यूआर कोड, होलोग्राम, स्टांप और डिजिटल हस्ताक्षर के साथ छेड़छाड़ करते थे।  उन्होंने बताया कि आरोपी सूरज भंडारी को पकड़ने के लिए पुलिस टीमें छापेमारी कर रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *