नकली दवा कंपनियों पर 3 साल में कड़ा एक्शननकली दवा कंपनियों पर 3 साल में कड़ा एक्शन

देहरादून, 30 मई। उत्तराखंड में नकली दवाइयों के कारोबारियों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग का अभियान लगातार जारी है। चारधाम यात्रा और पर्यटन सीजन को देखते हुए छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। यात्रा मार्गों के साथ ही ड्रग विभाग की टीमें पर्यटन स्थलों में स्थित मेडिकल स्टोरों पर छापेमारी के साथ ही दवा कंपनियों का भी औचक निरीक्षण कर रही हैं। आयुक्त, खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग डॉ आर राजेश कुमार पूरे अभियान की लगातार मॉनिटरिंग करने के साथ अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दे रहे हैं।  

अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग व ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिह जग्गी ने बताया कि रूड़की और उधमसिंहनगर में नकली दवा के ज्यादा मामले सामने आए हैं। पिछले 3 साल में 72 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं और 32 लोगों को जेल जाना पड़ा। इसके साथ ही कुल बेस्ड निरीक्षण के मामले 71, कुल निलंबित निर्माण लाइसेंस 14, कुल निरस्त निर्माण लाइसेंस 04, कुल निरस्त औषधियों के अनुमोदन 63 के साथ ही निर्माण इकाइयों के सामान्य निरीक्षण 223 किए गए।

उन्होंने बताया कि दिसम्बर 2023 से मार्च 2024 तक राज्य में ब्रिक की जा रही औषधि की गुणवत्ता सुनिश्चित किये जाने को लेकर जगह-जगह से 281 सैंपल लिए गए जिनमें से 47 सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे। यह सभी अन्य राज्यों में बनी दवाइयों के थे। जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है।

जग्गी ने बताया कि दवा निर्माताओं के साथ ही दवाईयों के थोक व फुटकर विक्रेताओं पर भी कार्यवाही की जा रही है। विभाग दवाइयों पर अनावश्यक छूट देने वाले रिटेलर पर निगरानी रख रहा है। दवाइयों पर अनावश्यक छूट देने वाले रिटेलर पर निगरानी डिस्ट्रीब्यूटर एवं होलसेलर को केवल बिल पर ही दवाईयां विक्रय किये जाने के निर्देश दिए गए हैं।राज्य में रिटेल शॉप पर कैमरे लगाने अनिवार्य किये गये हैं। राज्य में विभिन्न स्तर पर मनः प्रभावी दवाईयों के भण्डारण की सीमा निर्धारित की गयी है। राज्यों की सीमा एवं अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर भी विभाग द्वारा दवाइयों की आपूर्ति पर निगरानी रखी जा रही है।

उन्होंने बताया कि दवाओं और कास्मेटिक उत्पादों की जांच रुद्रपुर के अलावा देहरादून में की जा रही है। यहां जांच के साथ ऑनलाइन सर्टिफिकेशन की सुविधा है। जांच के लिए एक मोबाइल लैब भी बनाई गई है।

जग्गी ने बताया कि कई दवा कंपनी में फूड लाइसेंस पर मल्टीविटामिन बनाए जा रहे थे। छापेमारी में मल्टीविटामिन के कैप्सूल और टैबलेट मिले। सैंपल की जांच में मल्टीविटामिन में दवाओं के साल्ट पाए जाने पर इनके विरुद्ध कार्रवाई की गई। कंपनी का सील कर दिया गया। टीम ने फैक्टरी कर्मियों से औषधि निर्माण का लाइसेंस दिखाने के लिए कहा। कर्मचारियों ने टीम को फूड लाइसेंस दिखाया।

इसके अलावा राज्य सरकार ने नशे के रूप में उपयोग में लाई जाने वाली नारकोटिक्स और साइकोट्रोपिक दवाओं का स्टॉक पहले ही तय कर रखा है। अब मेडिकल स्टोर व सप्लायर इन दवाओं की बिक्री मनमाने ढंग से नहीं कर पाएंगे। होलसेल व रिटेलर को तय मात्रा से अधिक दवा रखने की इजाजत नहीं होगी और उन्हें बिक्री का हिसाब भी रखना होगा।
अपर खाद्य आयुक्त और ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि राज्य में अब कोई भी मेडिकल स्टोर या स्टॉकिस्ट तय सीमा से अधिक दवाओं का स्टॉक नहीं रख सकता। यदि कोई ऐसा करते हुए पाया गया तो लाइसेंस निरस्त करने के साथ ही अन्य कार्रवाई भी की जाएंगी।

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