चंडीगढ़, 30 मई। पंजाब राजभवन में 37वें गोवा स्थापना दिवस के अवसर पर गर्व और खुशी का माहौल था। इस कार्यक्रम में गोवा के समृद्ध इतिहास, जीवंत संस्कृति और भारतीय संघ का 25वां राज्य बनने की इसकी यात्रा को याद किया गया।
प्रशासक के सलाहकार राजीव वर्मा ने समारोह की अध्यक्षता की। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि प्रदर्शन देखते समय उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे वे गोवा पहुंच गए हों। उन्होंने गोवा के अद्वितीय आकर्षण और महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसके धूप से नहाए समुद्र तटों, जीवंत संस्कृति और समृद्ध इतिहास की प्रशंसा की और गोवा को भारत के पश्चिमी तट पर एक रत्न बताया।
गोवा की ऐतिहासिक यात्रा पर विचार करते हुए वर्मा ने मौर्य साम्राज्य का हिस्सा होने से लेकर विभिन्न हिंदू राजवंशों के शासन तक, उसके बाद 450 से अधिक वर्षों तक पुर्तगाली शासन और अंत में भारतीय संघ में इसके शामिल होने तक के इसके परिवर्तन को याद किया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गोवा का इतिहास इसके लचीलेपन और इसके लोगों की अदम्य भावना का प्रमाण है। उन्होंने पालोलेम और वागाटोर के शांत समुद्र तटों, बागा और कैलंगुट के जीवंत तटों और हरे-भरे जंगलों और लुढ़कती पहाड़ियों पर प्रकाश डाला जो गोवा के आकर्षण को बढ़ाते हैं। उन्होंने राज्य की समृद्ध विरासत के प्रतीक के रूप में गोवा के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों, जैसे बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस और से कैथेड्रल के महत्व पर भी ध्यान दिया।
वर्मा ने गोवा के स्वतंत्रता सेनानियों, नेताओं और नागरिकों के योगदान को स्वीकार किया और सम्मानित किया जिन्होंने राज्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने सभी से उनकी विरासत को ईमानदारी और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में गोवा के विविध सांस्कृतिक ताने-बाने को प्रदर्शित किया गया, जिसमें चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी कार्यालय में चंडीगढ़ द्वारा तैयार स्थानीय स्कूलों और विश्वविद्यालयों के छात्रों ने भाग लिया। कार्यक्रम में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन, राज कुमार सिंह आई.जी., यू.टी. और चंडीगढ़ प्रशासन के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।