चंडीगढ़, 10 मार्च। पंजाब के वित्त, योजना, आबकारी और कराधान मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने आज यहां ‘बिल लाओ इनाम पाओ’ स्कीम के अंतर्गत गलत बिल जारी करने वाले विक्रेताओं के विरुद्ध की गई अहम कार्यवाही का ऐलान किया।
उन्होंने कहा कि गलत बिल जारी करने के लिए सम्बन्धित विक्रेताओं पर कुल 5.16 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से 4.01 करोड़ रुपए का बड़ा हिस्सा वसूला जा चुका है, जोकि कर पालन और पारदर्शिता को प्रोत्साहित करने के लिए पंजाब सरकार द्वारा किये जा रहे यत्नों की दिशा में एक मील पत्थर है।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने ‘बिल लाओ इनाम पाओ’ स्कीम की सफलता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अब तक इस योजना में हिस्सा लेने वाले 1403 विजेताओं को 56.58 लाख रुपए के इनाम दिए जा चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह स्कीम, जो उपभोक्ताओं को ‘मेरा बिल एप’ के द्वारा अपने खरीद बिलों को अपलोड करने के लिए प्रोत्साहित करती है, को 21 अगस्त, 2023 को मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा जारी किये जाने के बाद से ही लोगों का भरपूर समर्थन मिला है।
वित्त मंत्री ने आगे बताया कि ऐप पर अपलोड किये गए 65,443 बिलों में से 1,512 बिलों की गड़बड़ी के लिए सम्बन्धित विक्रेताओं को नोटिस जारी किये गए थे और इनमें से 642 नोटिसों का निपटारा किया जा चुका है। उन्होंने कर राजस्व प्रणालियों को बेहतर बनाने में इस योजना के प्रभाव और लक्ष्य को प्राप्त करने में आम लोगों की सक्रिय भूमिका पर ज़ोर दिया। वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि ‘मेरा बिल ऐप’ के स्वरूप 108 नयी जी.एस.टी रजिस्ट्रेशन भी हुई हैं, जिससे कर पालन में सकारात्मक रुझान की झलक मिलती है।
कर पालन को प्रोत्साहित करने और कर चोरी से निपटने के लिए इस स्कीम के महत्व को दोहराते हुए एडवोकेट चीमा ने पंजाब निवासियों को अपने खरीद के लिए बिल लेने और इस स्कीम में हिस्सा लेने के सिलसिले को बरकरार रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल राज्य के कर ढांचे को मजबूत करती है बल्कि उनको हर महीने 10,000 रुपए तक के इनाम जीतने का मौका देती है।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने यह भी स्पष्ट किया कि पैट्रोलियम उत्पादों (कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, उड्डयन टर्बाइन फ्यूल और प्राकृतिक गैस), शराब, राज्य से बाहर की खरीददारी और व्यापार से व्यापार के लेनदेन के बिल इस स्कीम के लिए योग्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ड्रॉ के लिए केवल पिछले महीने के अंदर खरीदी गईं वस्तुओं के बिलों पर विचार किया जाता है, जिससे स्कीम की निष्पक्षता और प्रभाव को सुनिश्चित बनाया जा सके।