दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण से निपटने की दिशा में हरियाणा का बड़ा कदम

चंडीगढ़, 17 जनवरी। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण से निपटने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने वर्ष 2024-25 के लिए राज्य की कार्य योजना की जानकारी दी। यह योजना राज्य के बस बेड़े को इलेक्ट्रिक, सीएनजी और बीएस-VI डीजल बस सहित स्वच्छ विकल्पों में बदलने पर केंद्रित है।

दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन पर केंद्रीय कैबिनेट सचिव द्वारा बुलाई गई वीडियो कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के बाद उन्होंने यह जानकारी साझा की। योजना में बीएस-III/IV डीजल बसों शामिल किया गया है। प्रदेश में वर्ष 2023 में 10 साल पुराने डीजल के 185 और 15 साल पुराने 461 वाहनों को जब्त किया गया।

उन्होंने बताया कि एनसीआर में यूएलबी, पीडब्ल्यूडी, एचएसवीपी, एनएचएआई और एचएसआईआईडीसी द्वारा धूल नियंत्रण और प्रबंधन सेल (18 संख्या) का गठन किया गया है और एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग द्वारा जारी निर्देश की अनुपालन में नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। एचएसपीसीबी ने एनसीआर में 500 वर्ग मीटर या उससे अधिक के भूखंड क्षेत्र पर निर्माण परियोजनाओं द्वारा पंजीकरण के लिए धूल प्रदूषण नियंत्रण स्व-मूल्यांकन के लिए वेब पोर्टल बनाया है और यह चालू है। 16 जनवरी 2024 तक 738 साइटें पंजीकृत की गई हैं। 534 स्थानों पर धूल दमन के लिए एनसीआर में निर्माण स्थलों पर एंटी स्मॉग गन लगाई गई हैं।

उन्होंने बताया कि एनसीआर में बड़ी संख्या में मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनें चल रही हैं। हरियाणा के चयनित शहर गुरुग्राम, पानीपत और सोनीपत में प्रदूषण के स्तर और कार्बन उत्सर्जन की जांच का काम ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन पुणे को सौंपा गया है। इसके अलावा अन्य पांच जिलों रेवाड़ी, झज्जर, जींद, रोहतक और चरखी दादरी की योजना बनाई गई है, जिसके लिए टेंडर पहले ही जारी किया जा चुका है। बैठक में हरियाणा प्रदूषण बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव, कृषि व किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल, पर्यावरण वन एवं वन्य जीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विनीत गर्ग सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।  

गुरूग्राम और फरीदाबाद में चलेंगी ई-बसें

श्री कौशल ने कहा कि राज्य परिवहन हरियाणा ने हरियाणा के नौ नगर निगम शहरों में संचालन के लिए सकल लागत अनुबंध (जीसीसी) मॉडल के तहत 375 ,12-मीटर ई-बसों की खरीद को अंतिम रूप दे दिया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जून 2024 तक सभी 375 ई-बसें शामिल कर ली जाएंगी।

श्री कौशल ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) के माध्यम से ई-बसों की खरीद का भी उल्लेख किया, जो गुरुग्राम और फरीदाबाद (प्रत्येक में 100 ई-बसें) को शामिल करने के लिए शुरू की गई थी। सभी 200 ई-बसों को शामिल करने का काम दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। राज्य परिवहन हरियाणा ने वित्तीय वर्ष के दौरान नवीनतम बीएस-VI उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने वाली 500 नई मानक बीएस-VI डीजल बसें और 150 एचवीएसी बीएस-VI डीजल बसें जोड़ने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि ये सभी प्रस्तावित नई बसें नवंबर 2024 तक बस बेड़े में शामिल कर ली जाएंगी।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हरियाणा के सभी डिपो द्वारा दिल्ली के लिए केवल बीएस-VI मानक वाली बसें ही चलाई जाएंगी। सभी बीएस-III अनुपालन वाली बसें अक्टूबर 2024 से पहले एनसीआर डिपो से चरणबद्ध तरीके से हटा दी जाएंगी। दिल्ली के आसपास के शहर फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत की सभी राज्य स्वामित्व वाली बीएस-IV अनुपालन वाली बसें अक्टूबर तक गैर-एनसीआर डिपो में स्थानांतरित कर दी जाएंगी। उनके स्थान पर बेड़े की पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाते हुए बीएस-VI अनुपालन वाली डीजल बसें आवंटित की जाएंगी। वर्तमान में हरियाणा में लगभग 1030 बीएस-III अनुपालित डीजल बसें परिचालन में हैं, जिनमें लगभग 500 बसें एनसीआर डिपो में सेवा प्रदान करती हैं। श्री कौशल ने कहा कि अक्टूबर 2024 तक सभी 500 बीएस-III बसों को कंडम कर दिया जाएगा और एनसीआर डिपो से चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा।
वाहन उत्सर्जन को संबोधित करने के लिए, आज तक एनसीआर जिलों में लगभग 10 लाख वाहनों को रंग-कोडित किया गया है। नियमों का 100 प्रतिशत पालन होता है, पंजीकरण प्राधिकारी निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार, उच्च-सुरक्षा पंजीकरण प्लेट (एचएसआरपी) और रंग-कोडित स्टिकर के अनिवार्य चिपकाए बिना आरसी जारी करने से बचते हैं।

पराली का किया जा रहा है उचित प्रबंधन

मुख्य सचिव ने बताया कि हरियाणा सरकार पराली प्रबंधन के लिए कारगर कदम उठा रही है। इस कड़ी में आईओसीएल द्वारा बहोली, पानीपत में 100 केएलपीडी क्षमता का धान का भूसा (पराली) आधारित 2जी इथेनॉल संयंत्र स्थापित किया गया है और यह सालाना 2 लाख मीट्रिक टन धान के पराली की खपत करेगा। प्रदेश में 2.30 लाख टीपीए की कुल क्षमता के साथ 23 फसल अवशेष आधारित ब्रिकेटिंग संयंत्र चालू हैं। उन्होंने बताया कि यंत्रों द्वारा धान की पराली का उपयोग किया जा रहा है। सरकार पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की एसएटीएटी पहल के तहत धान की पराली आधारित बायोगैस संयंत्र (सीबीजी) की स्थापना को भी बढ़ावा दे रही है। भारत की अब तक हरियाणा में तेल विपणन कंपनियों द्वारा 1263 टीपीडी की कुल क्षमता के लिए 165 आशय पत्र जारी किए गए हैं। उम्मीद है कि इन पौधों से धान की पराली का अलग-अलग उपयोग किया जा सकेगा। प्रदेश के थर्मल पावर स्टेशन बिजली उत्पादन के लिए आगामी सीजन से कोयले के साथ मिलाकर ईंधन के रूप में 5-7 प्रतिशत धान की पराली का उपयोग करेंगे, जिसके लिए ऊर्जा विभाग (एनआरई) ने थर्मल पावर स्टेशनों के लिए धान की पराली के लिए सेवा क्षेत्र आवंटित किए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *