चंडीगढ़, 23 दिसंबर। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने घोषणा की कि कुरुक्षेत्र के पास पीपली में संत रविदास तथा सिख गुरुओं की स्मृति में स्मारक बनाये जाएंगे ताकि लोग उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा ले सकें। श्रद्धालुओं को कुरुक्षेत्र के पास 48 कोस के तीर्थों का भ्रमण करवाने के लिए जल्द ही बसों की सुविधा शुरू करवाने की भी बात कही।
वे आज कुरुक्षेत्र में 48 कोस तीर्थ सम्मलेन के दौरान उपस्थित साधु – संतों एवं आस -पड़ौस के प्रबुद्ध लोगों को सम्बोधित कर रहे थे।
इससे पूर्व उन्होंने 48 कोस की परिधि में स्थित 182 तीर्थों की जानकारी से संबंधित एक पुस्तक का विमोचन किया और लोगों को इस पुस्तक का अधिक से अधिक प्रचार करने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री ने 48 कोस क्षेत्र में आने वाले तीर्थों से कलश के माध्यम से लाई गई मिट्टी को पवित्र बताते हुए नमन किया और कहा कि ये सभी तीर्थ स्थल प्रेरणा के स्रोत हैं। उन्होंने भगवद गीता और 48 कोस तीर्थों के पास होने को एक अनूठा संगम बताया और कहा कि गीता का सन्देश सार्वभौमिक, शाश्वत और सार्वकालिक है।
उन्होंने कुरुक्षेत्र की भांति 48 कोस की परिधि में आने वाले तीर्थों को पुण्य की धरती बताया और कहा कि राज्य सरकार इन तीर्थों को भी विकसित कर रही है। उन्होंने बताया कि पावन सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच स्थित कुरुक्षेत्र की 48 कोस भूमि में 367 तीर्थ स्थल हैं, जिनमें से कुछ लुप्तप्राय हो चुके हैं। हम इन तीर्थों का जीर्णोद्धार कर इनके वैभव को पुनः स्थापित करने के लिए कृतसंकल्प हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अभी हाल में ही 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि के 164 तीर्थों की सूची में सर्वेक्षण एवं दस्तावेजीकरण के पश्चात 18 नए तीर्थों को जोड़ा गया है, जिससे अब इस भूमि के तीर्थों की कुल संख्या 182 हो चुकी है। तीर्थों के सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण का यह कार्य अभी भी निरन्तर जारी है और निकट भविष्य में इस सूची में ओर भी तीर्थों के जुड़ने की सम्भावना है।
उन्होंने आस -पास के जिलों में तीर्थ स्थानों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने वर्ष 2017 और 2018 में 48 कोस की परिक्रमा में स्थित अनेक तीर्थों पर जाकर उनके दर्शन किए और उनके विकास की घोषणाएं भी की। उनके द्वारा घोषित 27 विकास कार्यों की लागत लगभग 36 करोड़ रुपये बनती है। इनमें से 23 करोड़ रुपये विकास कार्यों पर खर्च किए जा चुके हैं। कुल 27 में से 15 कार्य पूरे हो चुके हैं, 6 पर काम चल रहा है और शेष 6 पर भी काम शुरू हो गया है।
उन्होंने बताया कि गत 6 अप्रैल को मैने सरस्वती तीर्थ पेहोवा के जीर्णोद्धार और सरस्वती द्वार के निर्माण की घोषणा की थी। इसके विकास पर 10 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। इनके अलावा पिछले 4 साल में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड को 64 विकास कार्यों के लिए 51 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इसमें से लगभग 28 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है। इसमें से 15 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं तथा 20 कार्य पूरे हो चुके हैं व 27 पर काम चल रहा है। हमने 15 करोड़ 66 लाख रुपये लागत के 18 अन्य विकास कार्यों की स्वीकृति दी है। इन पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार का प्रयास है कि ब्रज भूमि की 84 कोसी यात्रा की तर्ज पर 48 कोस कुरुक्षेत्र भूमि में स्थित तीर्थों की यात्रा शुरू की जाए। यहाँ पर इन तीर्थों को जोड़ने के लिए बसें चलाई जाएँगी जिनमे गाइड भी मौजूद रहेंगे जो यात्रियों को इन स्थलों की महत्ता से अवगत करवाएंगे। उन्होंने बताया कि धर्मक्षेत्र – कुरुक्षेत्र को भगवान श्रीकृष्ण जी की नगरी मथुरा और धार्मिक स्थल हरिद्वार से जोड़ने के लिए इन मार्गों पर ट्रेन चलाई गई है।
उन्होंने कुरुक्षेत्र, ज्योतिसर एवं आस -पास के क्षेत्र में सरकार द्वारा करवाए गए धार्मिक विकास कार्यों की विस्तार से जानकारी दी और कहा कि निश्चित तौर पर जल्द ही कुरुक्षेत्र को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कुरुक्षेत्र में आयोजित किये जा रहे गीता महोत्सव के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस महोत्सव को राष्ट्रीय स्तर का बनाया और उसको आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में इस गीता जयंती महोत्सव को अंतर्राष्ट्रीय बनाने के लिए प्रेरित किया जिसमे प्रदेश सरकार वर्ष 2016 से इसको आयोजित करने में सफल भी हुई है। उन्होंने इस महोत्सव की ख्याति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस बार मात्र 17 दिनों में करीब 30 लाख पर्यटकों ने कुरुक्षेत्र आकर गीता स्थली को नमन किया है।
मुख्यमंत्री ने 48 कोस क्षेत्र में आने वाले तीर्थों के ग्रामवासियों को आह्वान किया कि वे सब मिलकर अपने -अपने तीर्थ में विकास और सौंदर्य की सुगंध को और अधिक फ़ैलाने में सरकार का सहयोग दें।
इस अवसर पर विधायक सुभाष सुधा ,गीता ज्ञान संस्थानम के अध्यक्ष स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक दिनेश के अलावा अन्य साधु -संत तथा गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।