वाटरशेड प्रोग्रामों के लिए ग्रांट जारी

चंडीगढ़, 22 दिसंबर। पंजाब के भू और जल संरक्षण मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने नीम-पहाड़ी कंडी एरिया से संबंधित 5 जिलों होशियारपुर, पठानकोट, एसबीएस नगर, एसएएस नगर और रूपनगर में लागू किए जा रहे 7 वाटरशेड प्रोजेक्टों के विकास के लिए और खेती उत्पादन सुधार कामों के लिए 4 करोड़ रुपए से अधिक की ग्रांटें सौंपी। इन जिलों में प्रोजैकट कुल 80 करोड़ रुपए की लागत के साथ लागू किए जा रहे हैं।

कैबिनेट मंत्री ने नई पहल के तहत भूमि रक्षा कंपलेक्स (मोहाली) में राज्य के 5 जिलों होशियारपुर, पठानकोट, एसबीएस नगर, एसएएस नगर और रूपनगर की वाटरशेड कमेटी, किसान उत्पादक संस्थाओं और सेल्फ हेल्प ग्रुप के 100 से अधिक सदस्यों के साथ मुलाकात की।

जौड़ामाजरा ने कहा कि ऐसे प्रोजैक्टों के द्वारा बेरोजगार युवाओं, भूमि रहित, छोटे और सीमांत किसानों के लिए आर्थिक मदद या हुनर विकास पर जोर दिया ताकि वह यहीं रह कर ही अपनी रोजी-रोटी कमा सकें।

मंत्री ने डेयरी, सूअर पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, मधु-मक्खी पालन आदि को विकसित करने के लिए कहा। उन्होंने कृषि के लिए इस्तेमाल की जाती रासायनिक खादों के हानिकारक प्रभावों के प्रति बढ़ रही जागरूकता के दरमियान अनुकूल बीजों, स्थानीय खादों, वर्मी-कम्पोस्ट आदि को उत्साहित करके जैविक खेती के अधीन क्षेत्रफल बढ़ाने का न्योता भी दिया।
मंत्री के साथ बातचीत में कमेटियों के प्रतिनिधियों ने बताया कि गांवों के समूह लोगों को भरोसे में लेकर कामों का चयन किया गया है जिसमें जल-तालाब बनाना/ नवीनीकरण करना, भूमिगत सिंचाई पाइपलाइन, बारिश के पानी की चार्जिंग, भूमि सुरक्षा और ड्रेनेज लाईन ट्रीटमेंट के काम शामिल हैं। इनके अलावा प्रोजेक्ट में कृषि के सहायक कारोबार को उत्साहित करना और सेल््फ हेल्प ग्रुप और भूमि रहित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है।

जिक्र योग्य है कि वाटरशेड आधारित प्रोजेक्टों का उद्देश्य बहु-स्रोत प्रबंधन की साझा रणनीति अपनाकर समूचे क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करना है जिसमें खेती उत्पादन के सुधार करने के साथ-साथ कुदरती स्रोत प्रबंधन से लेकर रोज़ी-रोटी के साधन पैदा करने तक के कार्य शामिल हैं।

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