शहरी स्थानीय इकाईयों में समग्र ऊर्जा दक्षता को 35-40 % तक बढ़ाने में जुटा पंजाबशहरी स्थानीय इकाईयों में समग्र ऊर्जा दक्षता को 35-40 % तक बढ़ाने में जुटा पंजाब

चंडीगढ़, 10 दिसंबर। शहरी स्थानीय इकाइयां (यू.एल.बीज) में समग्र ऊर्जा दक्षता में सुधार करने के उद्देश्य से ‘‘ऊर्जा कुशल विद्युत उपकरणों’’ के बारे में एक तकनीकी वर्कशॉप करवाई गई। इसका आयोजन पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (पेडा) द्वारा किया गया।

वर्कशॉप ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बी.ई.ई.), ऊर्जा मंत्रालय,के म्युनिसिपल डिमांड साइड मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत  पंजाब के हिस्सेदार विभागों जैसे यू.एल.बीज, आवास निर्माण एवं शहरी विकास विभाग, विकास अथॉरिटी, लोक निर्माण विभाग, जल आपूर्ति एवं स्वच्छता, मंडी बोर्ड, पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन और पी.एस.पी.सी.एल. के सहयोग के साथ करवाई गई।  
पेडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अमरपाल सिंह ने राज्य में इमारतों, उद्योगों और नगर पालिकाओं में ऊर्जा दक्षता के महत्व और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकियों को लागू करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि म्युनिसिपल डिमांड साइड मैनेजमेंट (एम.यू.डी.एस.एम.) एक ऐसा प्रोग्राम है जिसका उद्देश्य शहरी स्थानीय इकाइयों (यू.एल.बीज) की समग्र ऊर्जा दक्षता को 35-40 फीसदी तक बढ़ाना है। यू.एल.बीज में ऊर्जा दक्षता से सम्बन्धित स्ट्रीट लाइटों, इमारतों और पानी वाले पम्पों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

एम.यू.डी.एस.एम. को उपयोगिता गतिविधियों (उपभोक्ता मीटर से परे) की योजना बंदी, लागूकरण और निगरानी के तौर पर दिखाया गया है, जोकि उपयोगिताओं को बिजली की मांग के समय और स्तर के सम्बन्ध में, उनके बिजली उपभोग के पैटर्न में संशोधन करने के लिए तैयार किया गया है, जिससे बिजली की और अधिक कुशलता से प्रयोग करने में उपयोगिताओं की मदद की जा सके। उन्होंने आगे कहा कि ऊर्जा का सीधा प्रभाव निवासियों के रहन-सहन पर पड़ता है और इसकी मदद से हुई ऊर्जा बचत को अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

पेडा के डायरेक्टर एमपी सिंह ने राज्य में टी एंड डी घाटे को 14 फीसदी से घटाकर 12.05 फीसदी करने के लिए देश में उत्तम कारगुजारी वाले एम.यू.डी.एस.एम. के प्रयासों को उजागर किया। उन्होंने राज्य में साफ़ और कम-कार्बन वाली ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ाने के लिए पेडा द्वारा लागू की जा रही रणनीति के बारे में भी चर्चा की। सरकार द्वारा एम.यू.डी.एस.एम. को लागू करने के लिए उचित संस्थागत और रेगुलेटरी ढांचे के लिए लगातार अलग-अलग नीतियाँ और प्रोग्राम लाए जा रहे हैं।  
वर्कशॉप के दौरान रिवायती ऊर्जा से परिवर्तन को अपनाने और राज्य में कार्बन के उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भी विचार-विमर्श किया गया।  

इस तकनीकी वर्कशॉप में स्थानीय निकाय विभाग के टाऊन प्लानर मानव जैन और चंडीगढ़ चैप्टर के पूर्व आई.जी.बी.सी. चेयरमैन जीत कुमार गुप्ता और अन्य हिस्सेदार विभागों के अधिकारी/कर्मचारी भी मौजूद थे।

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