नेक चंद के रॉक गार्डन की तर्ज पर कुरुक्षेत्र में निर्मित करना चाहते हैं महाभारत का संपूर्ण दृश्य
चंडीगढ़, 24 नवंबर- हरियाणा सरकार की संत महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना से प्रेरणा लेकर फरीदाबाद जिले के एतमादपुर गांव के उदित नारायण अपनी कला के माध्यम से इतिहास की कड़ी को वर्तमान से जोड़ना चाहते हैं। अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में वे लगातार प्रयत्नशील है। नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे व्यापार मेले में लगे हरियाणा मंडप में उदित नारायण के स्टॉल ने आगंतुकों को ख़ासा प्रभावित किया है। किसी रंग, ब्रश, स्याही और कलम का प्रयोग किए बिना उदित नारायण ने अपने बनाए चित्रों से आगंतुकों को आश्चर्यचकित कर दिया है। इनके स्टॉल पर रखी साधारण पेंटिंग भी पास से देखने पर कौतूहल का कारण बन रही है। कोई भी दर्शक अपनी आँखों पर तब भरोसा नहीं कर पाता जब उसे ज्ञात होता है कि यह पेंटिंग किसी रंग या स्याही से ना बनाकर, वेस्ट प्लास्टिक की तार, प्लाईवुड, फर्नीचर में इस्तेमाल होने वाली रंग-बिरंगी टेप और प्लास्टिक के बचे हुए सामान से तैयार की गई है।
हरियाणा के उदित नारायण बैंसला पेशे से एंग्लो वैदिक गुरुकुल, पुरकाजी में चित्रकला के अध्यापक हैं। औपचारिक शिक्षा की बात करें तो उन्होंने टेक्सटाइल डिजाइनिंग का कोर्स किया है। उदित अपनी कला के माध्यम से भावी पीढ़ी को प्रकृति संरक्षण और बेकार पदार्थों के सदुपयोग का संदेश दे रहे हैं। नई पीढ़ी को अपने इस प्रयास से जोड़ने के लिए वे बिना किसी शुल्क के यह कला सिखा भी रहे हैं। उदित नारायण ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 2014 में ‘स्वच्छ भारत मिशन‘ के आह्वान पर उन्हें यह विचार आया कि क्यों न अपनी कला में प्लास्टिक वेस्ट का इस्तेमाल किया जाए। इस सोच को तब और भी बल मिला जब उन्होंने जलते हुए प्लास्टिक के तार से उठता धुआँ देखा। इस दृश्य ने उन्हें झकझोर दिया और उन्होंने उसी दिन निश्चय किया कि वह इस प्रक्रिया से अनोखी कला विकसित करेंगे।
उन्हें इस कला में प्लास्टिक से हो रहे नुकसान और पर्यावरण संरक्षण के लिए संदेशों का सशक्त जरिया नज़र आया। वे कहते हैं चाहे खेत-खलिहान, हिमालय की चोटी, समुद्र, नदी, नाले हों, प्लास्टिक और उसके नुक्सान आज सभी जगह देखा जा सकता है। यह प्लास्टिक हवा, मिट्टी और पानी में घुल कर हमारे वातावरण और स्वास्थ्य तंत्र को हानि पहुंचा रहा है। लुप्त हो रही गौरिया चिड़िया प्रजाति भी इस अस्वस्थ जैव तंत्र का जीता जागता उदाहरण है। वे बताते हैं कि इन सभी चित्रों के ज़रिए वे समाज में जागरुकता लेकर आने का कार्य कर रहे हैं।
बचपन से ही कला में रूचि रखने वाले उदित नारायण अब तक अपने हुनर के माध्यम से कई पुरूस्कार जीत चुके हैं। वे बताते हैं कि छोटी उम्र से ही वे सूरजकुंड मेले में आ रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री इंदिरा गाँधी द्वारा 1983 में बड़खल में आयोजित एक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उन्हें तीसरा स्थान प्राप्त होने पर पुरस्कृत किया गया। इसी तरह कला के प्रति उनका रुझान बढ़ता गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात‘ में भी उनके कार्य की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और कहा कि वे ‘वोकल फॉर लोकल‘ और ‘आत्मनिर्भर भारत मिशन‘ में अपने हुनर से पहचान स्थापित करें। उन्होंने दिल्ली के हुनर हाट मेले में पीएम मोदी का एक चित्र बनाकर उन्हें भेंट किया जिसकी प्रधानमंत्री ने भरपूर प्रशंसा की और उदित से नई पीढ़ी को अपना यह हुनर सिखाने की अपील भी की। हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को भी वे उनके चित्र तीन बार भेंट कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ने भी उनकी इस अनोखी कला की खूब सराहना की है और इसे आगे लेकर जाने के लिए प्रोत्साहित भी किया। उन्हें 32वें सूरजकुंड मेले में हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल श्री कप्तान सिंह सोलंकी द्वारा कला निधि अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
उदित नारायण के इन चित्रों में प्राकृतिक सौंदर्य, लुप्त होती गौरैया चिड़िया, मोबाइल फोन के चार्जर से बनीं आकृतियां आगंतुकों को आकर्षित कर रही हैं। वह कहते हैं कि पद्मश्री नेक चंद के चण्डीगढ़ में बने रॉक गार्डन की तर्ज़ पर वह भी हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में महाभारत के सम्पूर्ण दृश्य को निर्मित करने के इच्छुक हैं। हरियाणा सरकार ने संत महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रचार प्रसार योजना के तहत महान संतों और महापुरुषों के साथ-साथ वीर-वीरांगनाओं की शिक्षाओं और संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। उदित नारयण कहते हैं कि वे अपनी कला के माध्यम से प्रदेश के संत महापुरूषों के चित्रों को जन मानस तक लेकर जाएं ताकि उनकी कला की कड़ी इतिहास और वर्तमान को आपस में जोड़ने का कार्य करे।