वर्ष 2014 में मिलती थी 1000 रुपये मासिक पेंशन, वर्तमान सरकार ने 3 गुणा बढ़ाई
चंडीगढ़, 4 नवंबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हमारी सरकार ने लोगों को दफ्तर, दरखास्त और दस्तावेज से मुक्ति दिलाते हुए उन्हें घर बैठे ही योजनाओं का लाभ देना सुनिश्चित किया है। इस दिशा में परिवार पहचान पत्र सबसे अहम दस्तावेज बनकर उभरा है। मई 2022 में सरकार ने वृद्धावस्था सम्मान भत्ते को परिवार पहचान पत्र से जोड़ा और तबसे अब तक लगभग 1 लाख 40 हजार वृद्धों का भत्ता ऑटोमेटिकली शुरू किया जा चुका है। इस समय प्रदेश में 18 लाख 52 हजार 85 बुजुर्गों को लगभग 506 करोड़ 50 लाख रुपये की राशि प्रतिमाह प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री आज यहां सीएम की विशेष चर्चा कार्यक्रम के तहत ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑटोमेटिक ढंग से वृद्धावस्था सम्मान भत्ता पाने वाले लाभार्थियों से सीधा संवाद कर रहे थे।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार ने वृद्धावस्था सम्मान भत्ते का ज्यादा से ज्यादा वृद्धों को लाभ पहुंचाने के लिए इसके लिए आय सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये वार्षिक तक की है। भविष्य में भी जो व्यक्ति 60 साल की आयु पूरी कर लेगा तथा पति-पत्नी की आय 3 लाख रुपये वार्षिक तक होगी, उसका वृद्धावस्था सम्मान भत्ता ऑटोमेटिक शुरू हो जाएगा। इसके लिए केवल पात्र व्यक्ति की सहमति ली जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में लाभार्थियों को 1000 रुपये मासिक पेंशन मिलती थी। हमारी सरकार ने हर साल इस सम्मान भत्ता की राशि में वृद्धि करते हुए 2,750 रुपये मासिक किया और अब आगामी पहली जनवरी, 2024 से इस राशि को बढ़ाकर 3 हजार रुपये कर दिया है।
उन्होंने कहा कि वृद्धावस्था पेंशन के अलावा सरकार विधवा महिलाओं, गंभीर बिमारी से ग्रस्त व्यक्तियों और दिव्यांग व्यक्तियों को भी पेंशन का लाभ देती है। इनके अलावा, अब सरकार ने विधुर को भी 40 साल की आयु के बाद तथा 45 वर्ष से 60 वर्ष आयु वाले अविवाहित पुरुषों के लिए भी मासिक पेंशन देने की शुरुआत की है। इस प्रकार राज्य में कुल 30 लाख लोगों को मासिक पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। इस प्रकार जनवरी, 2024 से एक बड़ा हिस्सा पेंशन सुविधाओं के लिए खर्च होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने 2014 में सरकार बनाई, तो उस समय यह दृश्य देखकर पीड़ा होती थी कि वृद्धावस्था सम्मान भत्ता बनवाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। सरपंच से लिखवाना पड़ता था, पटवारी, तहसीलदार या समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से मिन्नतें करनी पड़ती थीं। अत्यधिक मानव हस्तक्षेप होने की वजह से यह व्यवस्था पक्षपातपूर्ण भी थी और वृद्धावस्था सम्मान भत्ते के लिए अपात्र लोग भी वृद्धावस्था सम्मान भत्ता लेने में सफल हो जाते थे और पात्र वंचित रह जाते थे। हमने बुजुर्गो की इस पीड़ा को समझा और टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके भेदभाव वाली व्यवस्था को खत्म किया है। इसके लिए सरकार ने परिवार पहचान पत्र बनाया। यह परिवार पहचान पत्र का ही कमाल है कि वृद्धावस्था सम्मान भत्ता बनवाने के लिए अब नागरिकों को दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़े, न ही दरखास्त देनी पड़ी और न ही दस्तावेज जमा करवाने पड़े। इस तरह से आपको दफ्तर, दरखास्त और दस्तावेज से मुक्ति मिली है।
उन्होंने कहा कि आज वृद्धावस्था भत्ते का लाभ बुजुर्गों को ऑटोमेटिक ढंग से मिल रहा है। जैसे ही कोई व्यक्ति 60 वर्ष का हो जाता है, तो उसको मोबाइल पर मैसेज आता है कि आप वृद्धावस्था भत्ते के लिए पात्र हो गये हैं और इसके लिए आपकी सहमति ली जाती है। उनकी सहमति के बाद ऑटोमेटिक ढंग से व्यक्ति को वृद्धावस्था सम्मान भत्ता मिलना शुरू हो जाता है। यह सब परिवार पहचान पत्र के कारण संभव हो सका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने बुजुर्गों के लिए एक नई योजना बनाई है। इस वित्त वर्ष के बजट में 80 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गो के लिए प्रहरी योजना शुरू करने की घोषणा की थी। परिवार पहचान पत्र के डेटा के अनुसार प्रदेश में 80 वर्ष से अधिक आयु के 3 लाख 30 हजार बुजुर्ग हैं। इनमें से 3600 बुजुर्ग तो ऐसे हैं, जो अकेले रह रहे हैं। प्रहरी योजना में इन बुजुर्गों की कुशल क्षेम जानने के लिए सरकारी कर्मचारी दो महीने में एक बार उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने जाते हैं। यदि किसी बुजुर्ग को चिकित्सा सहायता, सम्पत्ति की सुरक्षा अथवा किसी अन्य मदद की जरूरत होगी, तो संबंधित सरकारी विभाग के माध्यम से उनकी मदद की जाएगी। हम अकेले रह रहे बुजुर्गों की देखभाल वरिष्ठ नागरिक सेवा आश्रम योजना के तहत सेवा आश्रमों में करेंगे। जिला स्तर पर उपायुक्तों को वरिष्ठ नागरिक सेवा आश्रम खोलने के भी निर्देश दिए गए हैं।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि पहले बी.पी.एल. कार्ड बनाने के लिए सर्वे करवाए जाते थे। एक बार सर्वे करवाने के बाद फिर लम्बे समय तक दूसरा सर्वे नहीं होता था और गरीब लोग अपना बी.पी.एल. कार्ड बनवाने के लिए अगले सर्वे का इंतजार करते रहते थे। लेकिन अब हमने डायनेमिक इनकम सिस्टम कर दिया है। यदि किसी परिवार की आय कम हो जाती है तो उसका बी.पी.एल. कार्ड स्वतः ही बन जाता है। हमने 25 दिसम्बर, 2022 से ऑटो मोड पर बी.पी.एल. राशन कार्ड बनाने का कार्य शुरू किया था। पहले उन परिवारों को बी.पी.एल. में शामिल किया गया था जिनकी वार्षिक आय 1 लाख 20 हजार रुपये से कम थी। हमने यह आय सीमा बढ़ाकर 1 लाख 80 हजार रुपये वार्षिक कर दी। इससे अभी तक 20 लाख नए परिवार बी.पी.एल. में आ गए हैं। हमने इन 20 लाख परिवारों के अलावा पहले के 19 लाख, अर्थात कुल 39 लाख परिवारों को बी.पी.एल. कार्ड घर बैठे ही ऑटोमेटिकली प्रदान किये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने आयुष्मान भारत- चिरायु योजना को भी परिवार पहचान पत्र से जोड़ा है। यह योजना डबल इंजन सरकार का सबसे उत्तम उदाहरण है। केन्द्र सरकार की आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना में हरियाणा के 15 लाख परिवारों को 5 लाख रुपये का वार्षिक इलाज मुफ्त मिलता है। साथ ही 2 नवम्बर से पहले तक हरियाणा सरकार की चिरायु योजना से लगभग 11 लाख परिवारों को यह लाभ मिल रहा था। गत 2 नवम्बर को अंत्योदय महासम्मेलन के मुख्य अतिथि केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा इस योजना में 14 लाख नए परिवार जोड़े गये। अब केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजना को मिलाकर हरियाणा के लगभग 40 लाख अंत्योदय परिवार ‘आयुष्मान भारत- चिरायु योजना का लाभ उठा रहे हैं। इसके अतिरिक्त 1.80 लाख से 3 लाख रुपये वार्षिक आय वाले लगभग 38 हजार परिवारों को भी इस योजना में शामिल किया गया है। इस योजना में चिरायु कार्ड परिवार पहचान पत्र के माध्यम से घर बैठे ही प्रदान किये जाते हैं। अब तक 86 लाख लोगों को ये कार्ड दिये गये हैं तथा नये जोड़े गये परिवारों को भी शीघ्र ही प्रदान किये जाएंगे।
श्री मनोहर लाल ने युवाओं का आह्वान किया कि अपने परिवार के बुजुर्गों का ख्याल रखें, जिन बुजुर्गों के आर्शिवाद से आप लोगों जिंदगी के इस मुकाम तक पहुंचे हो, उनका ऋण अवश्य चुकायें। बुजुर्गों की सेवा करें, उन्हें पूरा मान-सम्मान दें और अनुभवों का लाभ अवश्य उठाएंगे तो निश्चित तौर पर आप जीवन में कामयाबी हासिल करेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना, लोक संपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल, मुख्यमंत्री के उप प्रधान सचिव श्री के मकरंद पांडुरंग और सूचना, लोक संपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) श्री गौरव गुप्ता उपस्थित थे।