गुरुकुल के वार्षिक समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे हरियाणा के राज्यपाल
चंडीगढ़, 3 नवम्बर – हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि गुरुकुलों की श्रंृखला के माध्यम से आचार्य देवव्रत जी युवा पीढ़ी को संस्कारवान् बनाकर न केवल समाज में नई जागृति लाने का सराहनीय कार्य कर रहे हैं अपितु उनके गुरुकुल के ब्रह्मचारी एन.डी.ए, आई.आईटी., एनआईटी. नीट जैसे महत्त्वपूर्ण परीक्षाओं में अव्वल नंबर लेकर अपने सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
श्री बंडारू दत्तात्रेय आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र के 111वें वार्षिक महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र के वर्तमान स्वरूप के पीछे यदि किसी व्यक्ति की दूरदर्शी सोच और दृढ़ इच्छाशक्ति कार्य कर रही है तो वह आचार्य देवव्रत जी है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण 35 वर्ष इस गुरुकुल को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में अर्पण कर दिये। उनके कुशल मार्गदर्शन में आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र देशभर के शिक्षण संस्थानों के लिए प्राचीन एवं आधुनिक शिक्षा पद्धति का अनुपम उदाहरण बना हुआ है।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने सर्वप्रथम स्वराज का उद्घोष किया और वे स्व-शिक्षा के सबसे बड़े पक्षधर थे। उन्हीं के मानसपुत्र स्वामी श्रद्धानन्द जी ने गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति को पुन:स्थापित करते हुए कई गुरुकुलों का निर्माण किया और फिर से वैदिक सभ्यता एवं संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया।
समारोह में गुरुकुल के ब्रह्मचारियों द्वारा प्रस्तुत किये गये मल्लखम्भ, योगासन, सूर्य नमस्कार, जिन्मास्टिक, कल्लरी आदि कार्यक्रमों की मुक्तकंठ से सराहना, साथ ही महोत्सव में आमंत्रित करने के लिए गुरुकुल प्रबंधन सहित आचार्य देवव्रत जी का आभार व्यक्त किया और अपने स्वैच्छिक कोष से गुरुकुल को 25 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि भेंट करने की घोषणा की।