संत-महापुरुषों को याद करके अच्छा उदाहरण पेश कर रही हरियाणा सरकार – देवुसिंह चौहान
चंडीगढ़, 7 अक्तूबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य की स्मृति में पानीपत तथा रेवाड़ी जिला में स्मारक बनाएं जाएंगे। संत महापुरूष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना के तहत दोनों जिलों में 4 से 5 एकड़ भूमि में यह स्मारक बनाए जाएंगे ताकि सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य की शौर्य गाथा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देने का कार्य करें।
मुख्यमंत्री ने यह घोषणा शनिवार को नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य की स्मृति में स्मारक डाक टिकट विमोचन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए की। इससे पहले मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान के साथ महान राष्ट्रभक्त एवं पानीपत की दूसरी लड़ाई के महानायक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के दिल्ली राज्याभिषेक स्मृति दिवस के अवसर पर स्मारक डाक टिकट का विमोचन किया।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि जिन संत महापुरूषों ने समाज में जागृति लाने तथा देश की एकता, अखंडता व गौरव बढ़ाने का काम किया है, वर्तमान राज्य सरकार ने संत-महापुरूष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना के माध्यम से उनके जीवन परिचय व शिक्षाओं को आगे बढ़ाने का काम किया है। जबकि पूर्व में ऐसी परम्परा जारी थी कि अपने या अपने पिता व दादा के नाम को आगे बढ़ाया जाता था।
उन्होंने कहा कि जो समाज एवं राष्ट्र अपने शहीदों का सम्मान करता है और सदैव उनके कल्याण के प्रति सजग रहता है वह समाज सदा समृद्धि और प्रगति की ओर अग्रसर होता है। हमें सदा अपने शहीदों को सम्मान के साथ याद रखना होगा। राष्ट्र की रक्षा, एकता एवं अखण्डता को कायम रखने के लिए हमारे वीर सैनिकों और देशभक्तों ने जो शहादत दी है। हमारा राष्ट्र उनका सदा ऋणी एवं कृतज्ञ रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य का 7 अक्टूबर 1556 को दिल्ली में राज्याभिषेक हुआ था। उन्होंने ही भले ही अल्प समय राज किया हो पर शताब्दियों के इस्लामी साम्राज्य के बीच उनका प्रभावशाली व्यक्तित्व अवश्य ही भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। पानीपत के पास गांव सौंदापुर में उनकी प्रतिमा आज भी लगी हुई है। ऐसे महापुरुष न केवल हमारी अमूल्य धरोहर हैं बल्कि हमारी प्रेरणा भी हैं। ऐसी महान विभूतियों के आदर्श, सिद्धांत व शिक्षाएं मानव समाज का मार्गदर्शन करते हैं। उनकी विरासत को संभालने व सहेजने की जिम्मेदारी हम सबकी है। इसलिए हम संत-महापुरुष विचार सम्मान एवं प्रसार योजना के तहत संतों व महापुरुषों के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य है कि नई पीढ़ी उनके जीवन व कार्यों से प्रेरणा व मार्गदर्शन प्राप्त करे।
उन्होंने कहा कि भगवान परशुराम जी, महर्षि कश्यप जी, कबीर दास जी, महर्षि वाल्मीकि, श्री गुरु गोरक्षनाथ जी, श्री धन्ना भगत जी, ज्योतिबा फुले, डॉ. भीमराव अम्बेडकर और श्री गुरु रविदास जी आदि की जयंती को राज्य स्तर पर मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं। वे ऐसे महानायक थे, जिनकी एक साधारण व्यक्ति से सम्राट बनने तक की जीवन यात्रा हमें गर्व और गौरव से भर देती है। इससे हमारी नई पीढियों को जीवन में आगे बढ़ने, देशप्रेम और वीरता की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि संत महापुरूषों को सम्मान देने के लिए राज्य में अनेक शिक्षण संस्थानों का नामकरण भी किया गया है। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, दुधौला (पलवल), महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल, महाराणा प्रताप कृषि एवं बागवानी विश्वविद्यालय करनाल आदि अनेक संस्थान प्रदेश में महापुरूषों के नाम पर खोले गए हैं।
मुख्यमंत्री ने नागरिकों को आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपने ऐसे महानायकों की स्मृति को निरंतर बनाए रखना है, ताकि उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए भारत को महाशक्ति के रूप में खड़ा किया जा सके। इसी दिशा में भारतीय डाक विभाग द्वारा महान राष्ट्रभक्त एवं पानीपत की दूसरी लड़ाई के नायक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य की स्मृति में डाक टिकट जारी करना उन सभी ज्ञात-अज्ञात शहीदों का अभिनन्दन है, जिन्होंनें देश व धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवन को कुर्बान कर दिया। यह उन माताओं उन पिताओं का सम्मान है, जिन्होंने अपनी सन्तानों को देश-धर्म की रक्षा के लिए कुर्बान कर दिया।
इस अवसर पर केंद्रीय संचार राज्यमंत्री श्री देवुसिंह चौहान ने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की कार्यप्रणाली की सराहना करते हुए कहा कि संत-महापुरुषों के विचारों को याद करने का सबसे अच्छा उदाहरण हरियाणा सरकार द्वारा पूरे देश में दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इतिहास के पन्नों में क्रूर शासकों का महिमामंडन किया गया है, क्योंकि वर्ष 1947 से 1977 तक ऐसे मंत्री रहें, जिन्होंने सम्राट हेमू जैसे योद्धाओं की बहादुरी और शौर्य को इतिहास में जगह नहीं दी। उन्होंने कहा कि सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य महान योद्धा थे और उनके संघर्ष से आने वाले पीढ़ियों को प्रेरणा मिलेगी।
संत-महापुरुषों की सोच व विचारों को आगे बढ़ाने के लिए शुरू की गई योजना की प्रशंसा करते हुए श्री देवुसिंह चौहान ने कहा कि सम्राट हेमू ने मां भारती के गौरव को बढ़ाया है और इसी कड़ी में देश-दुनिया में विख्यात प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी पांच प्रण किए हैं, जिनमें से एक प्रण के तहत विरासत को संजोए रखना है और गौरन्वित महसूस करवाना है।
इस मौके पर हरियाणा सूचना, लोक संपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक और मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ अमित अग्रवाल ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज गौरवशाली दिन है। आज का यह समारोह मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के उस विजन का परिणाम है जिसके अनुसार हमें भारत के गौरवशाली अतीत की जानकारी होना आवश्यक है। वर्तमान समय में विश्व की महाशक्तियों में शुमार भारत की नींव को सदियों से करोड़ों भारतीयों ने अपने संघर्षों, तप, त्याग और कुर्बानियों से सींचा है। उन्होंने कहा कि आज जब हम आजादी का अमृतकाल मना रहे हैं तो पीछे की तरफ मुड़कर उन महापुरुषों को याद करना जरूरी है ताकि नई पीढिया अपने अतीत से सीख सकें।
केन्दीय शिक्षा मंत्रालय में रिसर्च समिति के सदस्य प्रो० रविन्द्र शर्मा, सेवानिवृत आई.ए.एस. श्री विश्वपति त्रिवेदी ने उपस्थितजनों को सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के संबंध में उल्लेख किया तथा सम्राट की विभिन्न अनगिनत किस्सों को सांझा किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चैहान तथा अन्य गणमान्यों ने हेमचन्द्र विक्रमादित्य अनोखा आरोही तथा एक अन्य पुस्तक का विमोचन भी किया। इस मौके पर सूचना, जनसंपर्क, भाषा तथा संस्कृति विभाग हरियाणा द्वारा प्रदर्शनी के माध्यम से सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य की गौरवगाथा को प्रदर्शित किया गया। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल तथा केंद्रीय संचार राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान सहित अन्य गणमान्य लोगों ने भी प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
इस मौके पर प्रधान स्थानीय आयुक्त डॉ डी. सुरेश, अतिरिक्त स्थानीय आयुक्त ए मोना श्रीनिवास, चीफ पोस्ट मास्टर जनरल श्रीमती मंजू कुमार, इंटेक रेवाड़ी से श्री सुधीर भार्गव व सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के वंशज, सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के अतिरिक्त निदेशक डाॅ कुलदीप सैनी, संयुक्त निदेशक एनसीआर श्री रणबीर सिंह सांगवान सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।