उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ 8 अक्टूबर को मेले के उद्घाटन समारोह में होंगे मुख्य अतिथि

 

चंडीगढ़, 5 अक्टूबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व और दूरगामी सोच के चलते प्रदेश सरकार किसानों के कल्याणार्थ नई-नई योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं के धरातल पर बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। इन्हीं योजनाओं का नतीजा है कि प्रदेश के मेहनती किसान कृषि क्षेत्र में नई-नई ऊंचाइयां प्राप्त कर रहे हैं। कृषि प्रधान राज्य होने की वजह से प्रदेश का पूरा फोकस किसानों और कृषि से जुड़े विविध कार्यक्रमों पर रहता है। सरकार द्वारा किसानों को नई कृषि तकनीकों की जानकारी देने और किसानों के कृषि उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में 8 से 10 अक्टूबर, 2023 तक ‘हरियाणा कृषि विकास मेला ‘ आयोजित किया जाएगा।

        प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि देश के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ 8 अक्टूबर को हरियाणा कृषि विकास मेले के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि होंगे जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल 10 अक्टूबर, 2023 को समापन समारोह की अध्यक्षता करेंगे। प्रवक्ता ने कहा कि कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां/एग्जीबिटर्स इस मेगा कार्यक्रम में अपने उत्पादों को प्रदर्शित करेंगी। मेले में हजारों की संख्या में दर्शक पहुंचेंगे। 3 दिनों की अवधि में इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में देश और विदेश से किसान, उद्यमी, कृषि वैज्ञानिक, शोधकर्ता, छात्र, राजनेता और अन्य हितधारक भाग लेंगे।

        प्रवक्ता ने कहा कि किसानों की सुविधा के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल  4 जुलाई, 2019 से संचालित किया जा रहा है, ताकि किसानों के भूमि रिकॉर्ड और फसल की खरीद और अन्य सरकारी लाभों के लिए बोई गई फसल का पंजीकरण और सत्यापन किया जा सके। मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत धान की फसल को वैकल्पिक फसलों के प्रति प्रेरित किया जा रहा है। फसल विविधीकरण करने वाले किसानों को 7,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से लगभग 118 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता सीधे उनके बैंक खातों में जमा करवाई गई है। इस योजना के तहत अब तक 71 हजार एकड़ क्षेत्र में फसल विविधीकरण किया गया है।

        प्रदेश सरकार ने किसानों की फसलों की एमएसपी पर खरीद और फसल का भुगतान तय समय में सुनिश्चित किया है। खरीदी गई फसल का भुगतान कुछ ही घंटों के अंदर किसानों के खातों में कर दिया जाता है। प्रवक्ता ने बताया कि एमएसपी पर 14 फसलों की खरीद करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। सरकार द्वारा समय पर ऋण की अदायगी करने वाले किसानों को बिना ब्याज फसली ऋण की सुविधा दी जा रही है। बैंकों से किसानों के लेनदेन पर लगने वाली स्टाम्प फीस 2000 रुपये से घटाकर 100 रुपये की गई है। प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की फसल खराब होने पर मुआवजा राशि 10,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये की गई है। प्रवक्ता ने बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में प्राकृतिक आपदा से किसानों की फसलें खराब होने पर लगभग 11,000 करोड़ रुपये की राशि मुआवजे के रूप में दी गई।

        इसके अलावा प्रदेश सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए भी जागरूक कर रही है। परंपरागत फसलों की खेती के अलावा किसानों को बागवानी के प्रति भी प्रेरित किया जा रहा है। सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान भी दिए जा रहे हैं। नए बाग लगाने पर 25,500 रुपये प्रति एकड़, उच्च सघनता के नए बागों की स्थापना पर 43,000 रुपये तक प्रति एकड़ तथा खजूर के बाग लगाने पर 1,40,000 रुपये तक प्रति एकड़ अनुदान का प्रावधान किया गया है। मशरूम की खेती पर 40 प्रतिशत, वर्टिकल खेती पर 65 प्रतिशत व हाइब्रिड सब्जी पौध पर 50 प्रतिशत के अनुदान का प्रावधान है। वहीं मधुमक्खी के बक्से की खरीद पर 85 प्रतिशत और मधुमक्खी पालन के उपकरणों की खरीद पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।

        प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पिछले लगभग 9 सालों में किसानों के लिए विभिन्न योजनाएं लागू करने के अलावा केंद्र सरकार की योजनाओं को भी राज्य में ज्यों का त्यों लागू किया है। केंद्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ के तहत प्रत्येक लघु किसान परिवार को 6000 रुपये वार्षिक सहायता दी जा रही है। इस योजना के तहत दिसम्बर, 2018 से अब तक 19.82 लाख किसानों को 13 किस्तों में 4287.19 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई। किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए खरीफ 2016 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की गई है। इसके अंतर्गत खरीफ में धान, बाजरा, मक्का, मूंग व कपास तथा रबी में गेहूं, सरसों, चना, जौं व सूरजमुखी फसलों का बीमा किया जा रहा है। इस योजना के अन्तर्गत अब तक लगभग 27.22 लाख किसानों द्वारा उनकी फसल खराब होने पर लगभग 7600 करोड़ रुपये का क्लेम दिया गया।