खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित होने से किसानों की बढ़ेगी आमदनी
चंडीगढ़, 12 सितंबर – हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जेपी दलाल ने कहा कि आज के समय में किसानों की प्रगति व खुशहाली हेतु सरकार, उद्योगपति व किसानों को एक साथ आने की जरूरत है। किसानों को परंपरागत खेती के अलावा आज बागवानी व अन्य संबद्ध क्षेत्रों में कार्य करने की आवश्यकता है, जिससे उनकी कृषि लागत में कमी आएगी और उपज का अच्छा दाम मिलने से आमदनी में भी वृद्धि होगी।
कृषि मंत्री आज यहां कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) द्वारा आयोजित चौथी इनोवेटिव फार्मर्स मीट के समापन समारोह के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित किसानों को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला के दौरान अलग अलग सत्रों में किसानों व विशेषज्ञों ने कृषि क्षेत्र के समक्ष आ रही चुनौतियों के समाधान हेतु नवीन पहलों पर चर्चा की गई।
श्री जे पी दलाल ने कहा कि किसानों को परंपरागत फसलों की खेती के साथ साथ फसल विविधीकरण अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में सरकार के साथ-साथ उद्योगपति खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित कर किसानों को बड़ी राहत पहुंचा सकते हैं। आज का यह कार्यक्रम किसानों और उद्योगपतियों को साथ में जोड़ने की एक पहल है। उन्होंने सीआईआई के पदाधिकारियों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने किसानों की मदद के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कृषि विकास को बढ़ावा देने और किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए विभिन्न पहले लागू की हैं। उर्वरक, बीज और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी प्रदान करने के साथ-साथ सरकार ने मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ाने और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने हेतु कई योजनाएं लागू की हैं।
श्री जेपी दलाल ने कहा कि आज जोत भूमि घटती जा रही है, इसलिए किसानों को आमदनी के अन्य स्रोतों की ओर बढ़ना होगा। परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी, फल, फूल, मत्स्य पालन, झींगा पालन इत्यादि को अपनाना होगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में हरियाणा में लगभग 2500 एकड़ क्षेत्र में झींगा पालन हो रहा है। विदेशों में भी इसकी मांग है। 1 एकड़ में किसान 15 से 20 लाख रुपये तक की आय अर्जित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार प्रदेश में कोल्ड स्टोरेज श्रृंखला स्थापित करने पर लगातार जोर दे रही है। प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगने से किसानों को कम दाम पर उपज बेचने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा और उत्पादों की पैकेजिंग, ब्रांडिंग होकर विदेशों में भी निर्यात करने में मदद मिलेगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि जल संरक्षण हेतु हरियाणा सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। किसानों को जागरूक करने के लिए सरकार ने मेरा पानी मेरी विरासत योजना शुरू की है, जिसके तहत धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली फसलों की खेती करने पर किसानों को 7000 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके अलावा, डीएसआर तकनीक से धान की सीधी बिजाई करने वाले किसानों को 4000 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के लिए भी किसानों को 85 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। खेतों में भी तालाब बनाने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा, तालाब प्राधिकरण, अटल भू जल योजना इत्यादि योजनाएं चलाई जा रही हैं।
श्री जेपी दलाल ने कहा कि हरियाणा के किसान खुशनसीब हैं कि यहां मंडियों का आधारभूत ढांचा बेहद मजबूत है, इसलिए उन्हें फसल बेचने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आती है। उन्होंने कहा कि 10,000 करोड़ रुपए की लागत से सरकार गन्नौर में भारत की सबसे बड़ी सब्जी मंडी इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर मार्केट स्थापित कर रही है। इसके निर्माण के बाद हमारे किसानों के उत्पाद विदेशों तक आसानी से पहुंचेंगे।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भारत की अर्थव्यवस्था को संभालने वाले किसान ही हैं और इनकी मेहनत के बल पर ही देश में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार भी किसानों के समर्थन में कदम बढ़ा रही है। आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में नए और उन्नतिशील तरीकों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि सीआईआई द्वारा किसानों व उद्योगपतियों को एक साथ लाने की यह पहल निश्चित तौर पर बदलाव की प्रेरक बनेगी।
समारोह में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग हरियाणा के इंजीनियर-इन-चीफ डॉ सतबीर कादियान ने हरियाणा सरकार की ओर से कृषि क्षेत्र में की जा रही विभिन्न पहलों की जानकारी दी। इस मौके पर पंजाब सरकार के विशेष मुख्य सचिव श्री पीके सिन्हा ने भी सत्र को संबोधित किया। कार्यक्रम में हरियाणा व पंजाब के प्रगतिशील किसान उपस्थित रहे।