‘दृष्टि का तोहफ़ा दें’ः स्वास्थ्य मंत्री डा. बलबीर सिंह ने लोगों को आँखें दान करने के लिए आगे आने के लिए की अपील

चंडीगढ़, 24 अगस्तः
पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. बलबीर सिंह ने 38वें नेत्रदान पखवाड़ा के मौके पर लोगों को आँखें दान करने के लिए आगे आने की अपील की है। उन्होंने कहा कि नेत्रदान एक नेक कार्य है क्योंकि यह किसी नेत्रहीन व्यक्ति को आँखों का तोहफ़ा हो सकता है। ज़िक्रयोग्य है कि नेत्रदान पखवाड़ा 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक मनाया जायेगा।
डा. बलबीर सिंह, जोकि स्वयं आँखों के सर्जन हैं, ने बताया कि कॉर्निया ख़राब हो जाने से अंधापन हो जाता है, जिसको कॉर्नियल ब्लाईंडनैस कहा जाता है। आइरिस के सामने एक पारदर्शी परत को कॉर्निया कहा जाता है।
“यह कॉर्निया है, जो दानी की आँखों से लिया जाता है और कॉर्नियल ब्लाईंडनैस वाले व्यक्ति का ट्रांसपलांट किया जाता है, जिससे व्यक्ति को दुनिया को देखने के योग्य हो जाता है।” उन्होंने आगे कहा कि इस सर्ज़री की प्रक्रिया को केराटोप्लास्टी कहा जाता है।
नेत्रदान की महत्ता के बारे ज़िक्र करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हमारी आँखें सबसे महत्वपूर्ण संवेदी अंग हैं, क्योंकि लगभग 80 प्रतिशत तक एहसास और प्रभाव हमारी दृष्टि द्वारा दर्ज किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि आँखों के बिना एक आम जीवन जीना बहुत चुनौतीपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 11 लाख लोग कॉर्नियल ब्लाईंडनैस से पीड़ित हैं और हर साल 30,000 नये केस शामिल हो रहे हैं, जबकि भारत में हर साल केवल 25000 कॉर्नियल ट्रांसप्लांट किये जाते हैं।” हम नेत्रदान और कॉर्नियल नेत्रहीन व्यक्तियों की संख्या में बहुत बड़ा विभाजन देख सकते हैं। इसलिए हम सभी को आँखें दान करने का वायदा करके इस अंतर को भरने के लिए आगे आने की ज़रूरत है जिससे न सिर्फ़ अपने राज्य बल्कि देश को कॉर्नियल ब्लाईंडनैस मुक्त बनाया जा सके।
ज़िक्रयोग्य है कि पंजाब में कुल 11 रजिस्टर्ड आँखों के बैंक और 27 कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन केंद्र हैं। पंजाब में 2022-23 में कुल 946 केराटोपलास्टीज़ की गई हैं, जबकि 2023-24 में जुलाई तक 282 ऐसी सर्जरियां सफलतापूर्वक की गई हैं।
डायरैक्टर स्वास्थ्य सेवाएें डाः आदर्शपाल कौर ने बताया कि इस पखवाड़े के दौरान राज्य भर में अलग- अलग आई. ई. सी गतिविधियां करवाई जाएंगी और इस सम्बन्धी सभी सिवल सर्जनों को पहले ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये जा चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस व्यापक जागरूकता मुहिम के दौरान नेत्रदान से जुड़ी कई गलत धारणाओं और भ्रमों का पर्दाफाश हो जायेगा।
नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल आफ ब्लायंडनैस्स एंड विजुअल इम्पेअरमैंट (एन. पी. सी. बी. वी. आई.) के स्टेट प्रोग्राम अफ़सर डा. नीति सिंगला ने बताया कि आँखें दान करने के लिए रजिस्ट्रेशन फार्म सभी ज़िला अस्पतालों, सब-डिविज़न अस्पतालों और कम्युनिटी हैल्थ सैंटरों पर उपलब्ध हैं। रजिस्ट्रेशन वैबसाईट www.nhm.punjab.gov.in/5ye_4onation/form1.php पर आनलाइन भी की जा सकती है और रजिस्ट्रेशन के सबूत के तौर पर भरे फार्म का प्रिंट भी लिया जा सकता है।
डिबियाः नेत्रदान – तथ्य और मिथक
केवल मौत के बाद ही आँखें दान की जा सकतीं हैं। मौत के बाद 4-6 घंटों के अंदर आँखों को हटाया जाना ज़रूरी है।
– आँखें दान करने के लिए उम्र और लिंग की कोई सीमा नहीं है।
– ऐनक पहनने वाले, शुगर, हाईपरटैनशन आदि से पीड़ित और मोतियाबिन्द की सर्ज़री करवाने वाले भी आँखें दान कर सकते हैं।
– केवल एक प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति ही आँखें को हटा सकता है।
– आँखों को हटाने में 20 मिनट से भी कम समय लगता है और यह अंतिम-संस्कार की रस्मों में विघ्न नहीं डालता।
– आँखों को हटाने से चेहरे पर कोई बिगाड़ नहीं पड़ता।
– दानी और प्राप्तकर्ता दोनों की पहचान गुप्त रहती है और उनका नाम सार्वजनिक नहीं किया जाता है।
– एक दानी दो कॉर्नियल दिव्यांग व्यक्तियों को आँखों दे सकता है।
– नेत्रदान एक मुफ़्त प्रक्रिया है।
– मानवीय आँखों को बेचना या ख़रीदना ग़ैर-कानूनी है।
– दान की आँखों जो ट्रांसप्लांट के लिए उचित नहीं हैं, डाक्टरी खोज और शिक्षा के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं।
आँखें कौन दान नहीं कर सकता ?
उन नेत्रदानी से आँखें नहीं लेनी चाहीऐ हैं जो नीचे लिखीं स्थितियों के कारण मौत हो गईः एडज़ ( एचआईवी) / हैपेटाईटस बी या सी, सेप्सिस्, ल्यूकेमिया, रैबीज, मेनिनजाइटिस, एनसेफ़लाइटिस, टैटनस और अन्य वायरल बीमारियां।
मृतक के रिश्तेदारों को क्या करना चाहिए ?
– मौत से तुरंत बाद नज़दीकी आई बैंक या आँखों के संग्रह केंद्र को सूचित करो।
– यदि उपलब्ध हो तो ए.सी. चला दिया जाये।
– दोनों आँखें को धीरे- धीरे बंद करो और दोनों आँखें पर नमी वाला कपड़ा रखो।
– तकिये से सिर उठाओ। इससे आँखों को हटाते समय कम ख़ून बहेगा।