अपने बुलंद इरादों और मजबूत दृष्टिकोण से मनोहर लाल ने किया बिजली निगमों का कायाकल्प – प्रवीण आत्रेय
चण्डीगढ़, 21 जुलाई –
अपने बुलंद इरादों और मजबूत दृष्टिकोण से हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश के बिजली निगमों की कायाकल्प कर दी है, उनके कार्यकाल से पहले यह निगम घाटे में चल रहे थे, लेकिन सीएम मनोहर लाल ने लोगों में बिजली के बिल समय पर अदा करने की एक अच्छी आदत डाली और बिजली उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई और इन निगमों को लाभ में पहुंचाया, यह तभी संभव हुआ जब उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में इस महकमें की स्वयं कमान संभाली।
सीएम मनोहर लाल ने 26 अक्तूबर 2014 को कार्यभार संभाला, इससे पहले की सरकारों के समय बिजली चोरी और बिल अदायगी न होना एक बड़ी समस्या थी।लेकिन सीएम मनोहर लाल ने सोच लिया था कि एक मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत है तभी इन निगमों को पटरी पर लाया जा सकता है, उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और इस समय हरियाणा के बिजली विभाग की देश में सराहना हो रही है।
उल्लेखनीय है कि उनके कार्यकाल से पहले इन बिजली निगमों पर 34650 करोड़ रुपए का कर्ज था, सीएम मनोहर लाल ने उदय स्कीम के तहत इसका 75 प्रतिशत यानी 24950 करोड़ सरकार ने टेकआवर किया और हर स्तर पर सुधार करके दिखाया, वर्ष 2014 में जहां 30 प्रतिशत से अधिक एग्रीगेट ट्रांसमिशन एंड कॉमर्शियल लॉस (एटीएंडसी) था, उसे 11.31 प्रतिशत लेकर आए, इतना ही नहीं बिजली निगमों 3649.25 करोड़ के घाटे को खत्म कर आज बिजली निगमों को 263.04 करोड़ रुपए के मुनाफे में लेकर आए।
वहीं, हरियाणा के 5687 गाँवों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति दी जा रही है, उन्होंने एक दिन विधानसभा में बयान दिया था कि मेरे कार्यकाल में बिजली के दाम नहीं बढ़ेंगे, इस वायदे पर भी एक तरह से खरे उतरे और बिजली के दामों में किसी प्रकार की कोई वृद्धि नहीं की। एक आंकड़े के अनुसार भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार में मात्र 534 गांवों में ही 20 घंटे बिजली आपूर्ति कागजों में दी जाती थी, लेकिन सीएम मनोहर लाल की सरकार में हर गांव जगमग है।
हरियाणा गठन के समय यानी 1966 में बिजली की उपलब्धता केवल 343 मेगावाट थी, जो आज बढक़र 13106.58 मेगावाट हो गई। इस प्रकार राज्य में विगत 9 वर्षों में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व में हरियाणा बिजली उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर बना है। जब मई-जून के महीनों में बिजली की सर्वाधिक आवश्यकता होती है (पीक आवर्स), तो उस समय बिजली की मांग 12768 मेगावाट तक पहुंच जाती है, उस लक्ष्य को भी हरियाणा प्रदेश ने अपने दम पर पूरा किया है। बिजली निगमों व हरियाणा बिजली विनियामक आयोग (एचईआरसी) द्वारा किए गए बिजली सुधारों की बदौलत यह संभव हो सका कि आज हरियाणा बिजली के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहा है।
गौरतलब है कि बिजली उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण, बिजली दरों को न्यायसंगत बनाने और पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल नीतियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य के लिए 1998 में हरियाणा पावर रिफोर्म एक्ट लागू हुआ, इसके बाद 16 अगस्त, 1998 को एचईआरसी का गठन किया गया। हरियाणा राज्य बिजली बोर्ड के स्थान पर दो कंपनियां बनी-हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम (एचवीपीएन) और हरियाणा बिजली उत्पादन निगम (एचपीजीसीएल)।
वर्ष 1999 में हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम से दो अलग कंपनियां बनाई गई, जिनको केवल बिजली वितरण का कार्य सौंपा गया – उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन), यानी यूएचबीवीएन के अंतर्गत अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर, कुरूक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत, सोनीपत, रोहतक और झज्जर सहित दस बिजली सर्कल हैं, इन दस सर्कलों में 32 डिविजन हैं और 128 सब डिविजिन हैं, इसी प्रकार, डीएचबीवीएन के अंतर्गत हिसार, फतेहाबाद, जींद, नारनौल, रेवाड़ी, भिवानी, गुरुग्राम-1, गुरूग्राम-2, फरीदाबाद, पलवल और सिरसा सहित 11 सर्कल, 30 डिविजन और 129 सब डिविजन हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बिजली निगमों के सुधार के लिए दिन रात कठोर परिश्रम करके इन निगमों को बेहतरीन स्थिति में लेकर आए, लाइन लॉस घटा, उपभोक्ताओं को एक मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर दिया।