मीत हेयर की तरफ से नदियों में दरार भरने के काम में तेज़ी लाने के निर्देश

चंडीगढ़, 20 जुलाईः

जल स्रोत मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने गुरूवार को पंजाब और पहाड़ी इलाकों में रिकार्ड तोड़ बारिश पड़ने कारण राज्य के नदियों में आए फ़ाल्तू पानी कारण कई जिलों में पैदा हुई बाढ़ की स्थिति का जायज़ा लेने और चल रहे बचाव और राहत कामों के काम में तेज़ी लाने के लिए विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा मीटिंग की।

मीत हेयर ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की तरफ से बाढ़ की स्थिति पर पूरी नज़र रखी हुई है और वह निरंतर विभाग से रिपोर्ट ले रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशों पर विभाग डैमों, नदियों, नहरों में पानी की स्थिति पर नज़र रख रहा है और दरार भरने के काम को तेज़ी के साथ किया जा रहा है। मीटिंग के दौरान प्रमुख सचिव जल स्रोत कृष्ण कुमार ने मौजूदा स्थिति के बारे रिपोर्ट पेश की और चल रहे कामों का ब्योरा दिया।

जल स्रोत मंत्री ने बताया कि पंजाब के कई जिलों में पैदा हुई स्थिति के कारण 9 और 10 जुलाई को हुयी मूसलाधार बारिश है। उन्होंने आंकड़े देते बताया कि रोपड़ में आम समय में जुलाई महीने में कुल औसतन 288 मिलीमीटर बारिश पड़ती है परन्तु इस बार सिर्फ़ दो दिनों में ही मिलीमीटर बारिश पड़ी। इसी तरह मोहाली में जुलाई महीने कुल औसतन 208. 6 मिलीमीटर बारिश पड़ती थी और इस बार दो दिनों में 266 मिलीमीटर पड़ी। पूरे पंजाब की बात करें तो राज्य में जुलाई महीने 161.4 मिलीमीटर बारिश होती थी और इस बार दो दिनों में ही 83.4 मिलिमीटर बारिश हुई। पंजाब के नदियों में आए फ़ाल्तू पानी के पीछे हिमाचल प्रदेश में हुई बारिश भी मुख्य कारण है। हिमाचल प्रदेश में औसतन जुलाई महीने 255. 9 मिलीमीटर बारिश होती है जबकि 9 और 10 जुलाई को दो दिनों में ही 195.8 मिलीमीटर बारिश हुई।

मीत हेयर ने आगे बताया कि विभाग की तरफ से हर घंटे बाद सभी डैमों, नदियों और नहरों की स्थिति की निगरानी रखी हुई है। उन्होंने बताया कि आज सुबह की रिपोर्ट अनुसार भाखड़ा डैम में इस समय पानी का स्तर 1648.12 फुट है जब कि क्षमता 1680 फुट है। पौंग डैम में पानी का स्तर 1374 फुट है जबकि क्षमता 1390 फुट है और रणजीत सागर डैम में पानी का स्तर 1721.4 फुट है जबकि क्षमता 1731.99 फुट है। पहाड़ी इलाकों में हुई मूसलाधार बारिश और बादल फटने की घटनाओं के कारण पिछले 11 दिनों में तीनों ही डैमों में पानी के स्तर की जानकारी देते हुये उन्होंने बताया कि 9 जुलाई से 20 जुलाई तक भाखड़ा डैम में पानी का स्तर 41.46 फुट, पौंग डैम में 35.13 फुट और रणजीत सागर डैम में 33.9 फुट बढ़ा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस सीजन के दौरान भाखड़ा डैम से एक बार भी फलड्ड गेट नहीं खोले गए। ट्रबाईनों के द्वारा अधिक से अधिक 35000 क्यूसिक पानी छोड़ा गया है जो कि बिजली पैदा करने के लिए अपेक्षित और ज़रूरी है।

जल स्रोत मंत्री ने बताया कि मीटिंग दौरान राज्य में नदियों पर अलग- अलग स्थानों पर दरारें पड़ने की घटनाओं का जायज़ा लिया गया और यह निर्देश दिए गए कि दरारें भरने का काम जंगी स्तर पर किया जाये। उन्होंने कहा कि कई जगह भरी गयी हैं और कुछ स्थानों पर पानी का स्तर घटने के बाद ही दरार भरने का काम शुरू किया जा सकता है। इन स्थानों पर दरार भरने के काम को तेज़ी के साथ मुकम्मल करने के लिए पहले ही खाली बोरियाँ भरने का काम बड़े स्तर पर किया गया है जिससे पानी घटने पर दरार तुरंत भरी जाएँ।

मीत हेयर ने बताया कि शुरुआती अनुमान अनुसार बाढ़ के कारण विभाग को 90 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ। यह नुक्सान नहरों और ड्रेनों को हुआ है। मीटिंग में चीफ़ इंजनियर (नहरें) एन. के. जैन और चीफ़ इंजनियर (ड्रेनेज) हरदीप सिंह महन्दीरत्ता भी उपस्थित थे।