SHAKAMBHARI DEVI

SHAKAMBHARI DEVI:सहारनपुर का ये शिद्द्पीठ मंदिर, जहां वैष्णो धाम की तरह लगता है भक्तों का तांता

SHAKAMBHARI DEVI सहारनपुर : नवरात्रे आते ही पूरे भारत वर्ष मेँ माँ दुर्गा के मंदिरो मेँ श्रदालुओ का तांता लग जाता है और नवरात्रे धुम धाम से मनाए जाते है। ऐसा ही नजारा उत्तर भारत मेँ माँ वैष्णो देवी सिद्दपीठ के बाद दूसरे सिद्द पीठ सहारनपुर में माँ शाकम्भरी देवी के मंदिर मे देखने को मिलता है। माँ शाकम्भरी देवी के इस शिद्धपीठ मंदिर में यूँ तो पूरा वर्ष श्रदालुओ का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रों के मौके पर माता शाकम्भरी देवी के दरबार में देश भर से लाखो श्रदालु माँ के दर्शन कर न सिर्फ धर्म लाभ उठाते हैं बल्कि माता रानी दर पर आने वाले अपने भगतो की मुरादे पूरी कर देती हैं। SHAKAMBHARI DEVI

आपको बता दे कि नवरात्रे शुरू होते ही माँ शाकम्भरी देवी के दर्शन करने पूरे भारत से लाखो श्रदालु आते है और माँ को नारियल चुंनरी चढाकर धर्मलाभ उठाते है। माँ के दर्शनो को आए हजारो श्रदालूओ की लम्बी कतारे माँ के दरवार में लग जाती है। सहारनपुर मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दुरी पर शिवालिक की छोटी छोटी पहाडियो के बीच बसा यह मंदिर माँ शाकम्भरी देवी का है।

मान्यता है कि उतर भारत मेँ आठ सिद्दपीठो में माँ शाकम्भरी देवी के इस मंदिर का दूसरा स्थान है माँ शाकम्भरी को शाक वाली माता के नाम से भी जाना जाता है, माँ के चार रूप यहाँ स्थापित है माँ शाकम्भरी देवी (SHAKAMBHARI DEVI), माँ शताक्षी देवी  ,माँ भीमा देवी और माँ बरामभरी देवी। पूरे भारत वर्ष से लाखो श्रदालु माँ के दर्शन कर धर्म लाभ उठाते है।

नवरात्रे के दिनों में  सहारनपुर की शिवालिक पहाडियो के बीच बने जगत जन्ननी सिद्धपीठ माँ शाकम्भरी देवी के इस भव्य मंदिर में श्रदालुओ की भीड़ उमडनी शुरू हो गयी है। कहते है कि माँ शाकम्भरी देवी (SHAKAMBHARI DEVI) देवी के दर्शनों को करने  के बाद श्रद्धालु सभी मनोकामनाओ से परिपूर्ण हो जाता है।SHAKAMBHARI DEVI

नवरात्रों में लगने वाले  इस पवित्र मेले में हरियाणा , पंजाब , दिल्ली . राजस्थान ,उत्तराखंड , गुजरात , हिमाचल प्रदेश और युपी से लोग माँ के सामने नतमस्तक होने के लिए  माँ शाकम्भरी देवी (SHAKAMBHARI DEVI) के दर्शन करने के लिए पहुचते है  हर साल यहाँ देश के कोने कोने से लाखो की संख्या में श्रद्धालु माँ से अपनी मनोकामना पूरी करने की कामना करते है। इस बार भी देवी माँ के इन पवित्र नवरात्रो में प्रसाद की दुकाने सजी हुई है। जो भी सच्चे मन से माँ के दर्शन कर मन्नत मांगते है माँ के आशीर्वाद से उनकी मुरादे पूरी हो जाती है। माँ के दरबार मेँ जो भी आता है माँ उसकी झोली भर देती है।

बताया जाता है कि प्राचीन काल में धरती पर सुखा पड़ गया था जिसके बाद खेत और जंगल पूरी तरह से सुख गए थे।  चारो ओर आह आहकार मच गया था। तो तब साधु संतो ने माँ दुर्गा की पूजा की थी जिसके बाद माँ दुर्गा ने प्रसन्न होकर संतो के आह्वान पर अवतार लिया जिसके बाद यहाँ बारिश हुयी। बारिश  किसानो ने सब्जियों की फसल की और सब्जियों को ही प्रसाद के रूप में माँ को भोग लगाया। तभी से इस स्थान का नाम शाकुम्भरी देवी पड़ गया। (SHAKAMBHARI DEVI)

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